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जनता की नहीं सिर्फ खुद की फिक्र करते हैं जनप्रतिनिधि…

locationदेवासPublished: Mar 18, 2019 10:58:55 am

–पत्रिका चेंजमेकर मुहिम में जुटे चेंजमेकर्स, वॉलंटियर्स ने रखी अपनी बात–स्वच्छराजनीति के लिएस्वच्छछवि के लोगों को आना होगा आगे

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देवास. चुनाव में तो नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद जिम्मेदारी भूल जाते हैं। क्या कोई जनप्रतिनिधि सुबह मल्हार स्मृति उद्यान जाकर लोगों से मिलता है।क्या कोई अस्पताल जाकर व्यवस्था देखता है।क्या तहसील और सरकारी दफ्तरों में जाकर लोगों की परेशानी सुनता है। देवास का शायद कोई जनप्रतिनिधिऐसा नहीं करता क्योंकि किसी को जनता की फिक्र नहीं है।सब अपनी फिक्र पालकर चलते हैं कि कैसे भी करके कुर्सी मिल जाए।जनता बेचारी क्या करे।वह तो अपना वोट देकर लोकंतत्र के यज्ञमेंआहुति देती है लेकिन जनप्रतिनिधिही जि?मेदारी से मुंह चुराते हैं।अब तो यही है कि खुला मंच लगे जहां जनता अपने चुने हुएजनप्रतिनिधियों को उनके वादे याद दिलाए।सवाल पूछे और जवाब मांगे कि क्या हुआ और क्या नहीं ये बताएं, तभी कुछसुधार हो सकेगा।
कुछइस तरह की आवाज बुलंद हो रही थी रविवार को पत्रिका चेंजमेंकर वॉलंटियर्स अभियान में।चामुंडा कॉप्प्लेक्स स्थित ईटी पर सभी जुटे और स्वच्छराजनीति पर बात हुई। उन मुद्दों की चर्चा हुई जो बरसों से चुनावी मुद्दा बने बैठे हैं।पत्रिका के इस अभियान को लोगों ने सराहा और कहा कि इस अभियान से प्रेरित होकर अगर कुछलोग भी जागरुक हो गएतो हालात बदलते देर नहीं लगेगी।एक व्यक्ति ही चलता है और कारवां जुड़ता जाता है।
दल का अंधानुकरणन करें, अच्छे को चुनें

धरोहरों को बचाने के अभियान में जुटे सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जाधव ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारणराजनीति में गंदगी फैल रही है। जनता की भी यह मानसिकता बन चुकी है कि नेता ने चुनाव में करोड़ों खर्च करते हैं तो चुनाव जीतने के बाद वे कमाएंगे।जनता सवाल नहीं पूछती और नेता मनमानी में लगे रहते हैं।यही वजह है कि जो नेता कुछसाल पहले एकदम मामूली सा दिखता है वह कुछही साल बाद करोड़ों की संपत्ति बना लेता है।जनता को जागरूक होना पड़ेगा।आवाज उठानी पड़ेगी।यह भय निकालना होगा कि आवाज उठाएंगे तो छल-बल से दबा दी जाएगी।युवा वर्ग को आगे आना पड़ेगा। जनक्रांति की जरुरत है।किसी भी दल का अंधानुकरणनहीं करना है बल्कि उसे चुनना है जो अच्छा हो, जो अच्छा काम करे।
जनता को आना होगा आगे

डेली अपडाउनर्स संघके निकलेश तिवानेने कहा कि शहर में इतनी समस्याएं हैं कि गिनाओ तो कम पड़ जाए।कोई विजन नहीं है।ट्रैफिक के बुरे हाल हैं।बसों और मैजिकों के कारण यातायात बिगड़ रहा है।अफसोस की न अफसर इस ओर ध्यान दे रहे हैं न ही जनप्रतिनिधि।जनता की चुप्पी ही जि?मेदारों को मनमानी के लिएप्रेरित करती है इसलिएस्वच्छराजनीति के लिएजनता को आगे आना होगा।सबको मिलकर समाज, शहर, प्रदेशव देशहित में काम करना होगा।
युवा वर्गकी हैजिम्मेदारी

डेली अपडाउनर्स संघ की सपना पवार ने कहा कि स्वच्छराजनीति की दिशा में पहला कदम यही होगा कि पार्टी चाहे कोईभी हो, हमें अच्छे का चयन करना है।एक अच्छा आगे आएगा तो चार अच्छे जुड़ेंगे।जनता को यह समझना होगा।जनता इस बात को समझ नहीं पा रही है।युवा वर्ग की जि?मेदारी है कि वे आगे आएं।राजनीति में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से भागीदारी करें।सब मिलकर संस्था बनाकर काम कर सकते हैं।
हम ही हैं जिम्मेदार

जितेंद्र शर्मा ने कहा कि अगर ये कहा जा रहा है कि राजनीति गंदी है तो जिम्मेदार भी हम ही हैं।सिर्फ भारत में ही ऐसा क्यों कहा जाता है, बाकी देशों में क्यों नहीं।वजह यही है कि हमें इसकी समझनहीं है।स्कूल-कॉलेज के पाठ्यक्रम में यह शामिल करना होगा जिससे राजनीति को समझा जा सके।किसका चयन करना है यह समझआ सके।इसके लिएनियम बनना चाहिए। चुनने वाले हम ही हैं तो हमें ही बदलाव भी करना होगा।हमारी मानसिकता बदलनी होगी।एकदम से नहीं होगा मगर शुरुआत तो की जा सकती है।
आम जनता के बीच आकर अपनी बात रखें जनप्रतिनिधि

अपडाउनर्स संघके ललित भोपाले ने कहा कि यदि चुनावी मेनिफेस्टो पर काम नहीं होता है तो इस पर एक्शन का नियम होना चाहिए।मीडिया के सामने चुने हुएजनप्रतिनिधियों व आम जनता के बीच मंच लगे जिसमें जनता सीधे सवाल करे।युवा वर्गसोशल मीडिया पर तो लिखता है, बोलता है लेकिन धरातल पर आना होगा।मुद्दों के लिए आवाज उठानी होगी।पार्षद, महापौर, विधायक से लेकर मंत्री, मु?यमंत्री तक जनता के बीच आएं।जनता के सामने बताएं कि क्या कहा था और क्या किया।प्रेशर पॉलिटिक्स बंद होना चाहिए।अफसरों पर भी राजनीतिक दबाव रहता है जिस कारणभेदभाव होता है।यह बंद होना चाहिएऔर यह बंद तभी हो सकेगा जब जनता खुद सड़कों परउतरेगी।
जनता ने सबको चुना पर किसी ने कुछ नहीं किया

जितेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि अगर कोई कहता है कि जनता मूर्ख है तो गलत है।जनता ने भाजपा, कांग्रेस के अलावा निर्दलीय को भी चुनाव में विजय दिलाई लेकिन हुआ क्या।किसी ने कुछनहीं किया। मूलभूत समस्याएं हल नहीं हो पाई।चुने हुएजनप्रतिनिधि न अस्पताल जाते हैं न किसी पार्कमें जनता से मिलते हैं।सरकारी द?तरों में क्या परेशानी आती है ये पता नहीं लगाते।देवास के किसी नेता ने यह नहीं किया।जब जनता की ही परवाह नहीं है तो जनता क्या करे।जनता को जागरूक होना पड़ेगा और जिम्मेदारी याद दिलानी पड़ेगी।नेताओं को जनता से जुडऩा होगा।जनप्रतिनिधियों व अफसरों के नंबर सार्वजनिक स्थानों परफ्लेक्स पर लिखे होने चाहिएताकि कुछसमस्या होने पर आम लोग सीधे शिकायत कर सकें। शिकायत और सुझाव पेटी लगाई जानी चाहिए।
पार्टियों में दब जाती है योग्यता

खिलाड़ी कपिल व्यास ने कहा कि राजनीतिक दलों के अंदर गुटबाजी बड़ी समस्या है जिस कारणयोग्य लोग आगे नहीं आ पाते।खुशामद करने वालों को मौका मिलता है मगर योग्यता को दरकिनार किया जाता है।यह बदलना चाहिए।पार्टियों को चाहिए कि वे युवाओं को साथजोड़ें।एक विजन तैयार करें।समाज सेवा के क्षेत्र से जुड़े हुएलोगों को साथजोड़ें जिससे स्वच्छ राजनीति होगी और युवाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी।
चुनने के पहले परखना होगा

स्वयंसेवी संगठन के कुलदीप चौधरी ने कहा कि स्वच्छराजनीति के लिएएक सिस्टम बनाना होगा।जनप्रतिनिधिहर माह या हर साल अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखें कि उन्होंने क्या किया।बड़े मुद्दों पर बात हो, समाधान हो।एक लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के चलते जनता को सबसे ज्यादा अधिकार दिएहैं मगर जनता के कर्तव्य भी हैं, जिन्हें जनता को निभाना होगा।जनप्रतिनिधि यदि निष्क्रिय है तो जनता को अच्छे का चयन करना होगा। जब हम ही चुन रहे हैं तो हमें ही परखना होगा कि कौन कैसा है।शिक्षित, समझदार और मिलनसार को चुनना होगा।
खुद से करें शुरुआत

शुभम सोलंकी ने कहा कि नेता और जनता के बीच की दूरी भी काफी हद तक राजनीति को स्वच्छहोने से रोकती है।नेता मिलते नहीं है और जनता मिलना चाहती नहीं।यदि कोई जनप्रतिनिधिसे मिलना चाहता भी है तो उसे नेता के समर्थकों से गुहार लगानी पड़ती है।नेताओं का भी शेड्यूल तय हो कि वे किस समय पर जनता से मिलेंगे।योजनाएं हजारों चल रही है लेकिन जनता को पता नहीं है।नेता बताते नहीं है।हमारी गलती है कि हम सिर्फचुनाव में ही ये सब याद करते हैं, बाद में भूल जाते हैं।यह निरंतर होना चाहिए।खुद से शुरुआत करें।मैं करूंगा तो सब करेंगे यह सोचें।मैं से ही हम बनता है।
स्वच्छ छवि के लोग आगे आएं

सैयद सादिक अली ने कहा कि राजनीति के लिएभी ट्रेनिंग सेंटर होना चाहिए।न्यूनतम योग्यता तय होनी चाहिए।जनता को जागरूक होकर सही-गलत का फैसला करना होगा।दलगत राजनीति की बजाय उसे चुनना होगा जो जनता के बीच रहे।जिसकी सोच और छवि स्वच्छहो।स्वच्छराजनीति की परिकल्पना तभी साकार होगी जब स्वच्छछवि के लोग राजनीति में जाएंगे।युवाओं को यह भार अपने कंधे परउठाना होगा।
भेड़चाल छोड़ बनना होगा आत्मनिर्भर

साधना प्रजापति ने कहा कि नेता के साथजनता भी जिम्मेदार है।नेताओं के नाम की लहर की बात करके जनता भेड़चाल चलती है।ये नहीं सोचती कि इससे समाज, शहर या देश-प्रदेशको क्या मिला।भेड़चाल छोडऩा होगी।आत्म निर्भर बनना होगा।समस्या है तो खुद आगे आएं।बजाय किसी नेता के चक्कर काटने के खुद पहल करें।आईएएस-आईपीएस की तरह राजनीति में भी न्यूनतम योग्यता स्नातक रखी जाए।आजकल तो ये है कि कोईभी नेता बन जाता है चाहे शिक्षित हो या न हो।जनता भी उसे चुन लेती है।इस सोच को बदलना होगा।
चुनते तो हम ही हैं…

रणजीत सिंह राठौर ने बताया कि नेता और जनता दोनों जिम्मेदार है।रिश्वत लेना और देना दोनों गलत है तो भ्रष्टाचार क्यों नहीं रूक रहा।व्यक्ति को सोच बदलना होगी।खुद से शुरुआत करें।चुनाव में ऐसे व्यक्ति को चुनें जो ईमानदार हो, जिसमें जनसेवा का भाव हो।लोकसभा में कई बार ऐसे लोग चुनकर चले जाते हैं जिन्हें ज्ञान ही नहीं है।ऐसे लोगों को चुनते भी तो हम ही हैं।इसलिएसबसे पहले हमें ही बदलना होगा इसके बाद आपस में जुड़कर बदलाव का हिस्सा बनेंगे।
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