जिन गरीब बच्चों को अमृत मिलना था उनको जहर पिला रहे और कहते हैं कि हमें आशीर्वाद
दे दो…
देवासPublished: Sep 13, 2019 12:29:48 pm
सरकारों, नेताओं पर किया आचार्यश्री ने कटाक्ष और कहा- आप लोग पास तो दूर, सप्लीमेंट्री भी नहीं आ रही हैमानव की मानवीय संवेदनाएं मर चुकी हैं, वह वह कर्तव्य विहीन हो गया : आचार्य श्री विद्यासागर महाराजनेमावर तीर्थ पर दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में पशु दया का भाव लाने की बात कहते हुए सभी को अच्छा इंसान बनने की सीख दी
देवास/नेमावर. मेहमान आते हैं, त्योहार आते हंै तो आप लोग मिष्ठान बनाते हंै, व्यंजन खाते हंै। क्या कभी किसी पशु ने कहा कि वह मिष्ठान हमें भी दो। रूखा-सूखा खाकर वह आपको और आपके बच्चों को मीठा-मीठा दूध प्रदान करती हैं। आपसे आज तक किसी भी पक्षी ने आकर यह नहीं कहा कि आप हमारे घर बनाने के लिए आर्थिक सहयोग दो, वह आपके घर में रहकर अपना घोसला स्वयं बनाता है।
उपरोक्त उद्गार संत शिरोमणि आचार्य श्रीविद्यासागर महाराज ने मप्र के नेमावर तीर्थ पर दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर व्यक्त किए। दयोदय महासंघ के द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो भी लोग इस कार्य को कर रहे हैं उन सभी को हमारा आशीर्वाद हैं। जैन समाज प्रवक्ता नरेंद्र चौधरी ने बताया कि महासंघ के अधिवेशन के इस अवसर पर महासंरक्षक अशोक पाटनी, प्रभात मुंबई, पंकज दिल्ली, राजा भैया सूरत तथा अध्यक्ष मल्लकुमार जबलपुर, महामंत्री सुरेंद्र जैन गंजबासोदा, कोषाध्यक्ष प्रेमचंद्र जैन, मंत्री वीरेन्द्र मालथौन सहित सभी क्षेत्रीय मंत्री एवं पदाधिकारियों सहित प्रवक्ता अविनाश जैन विदिशा ने आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का पाद प्रछालन किया। इस अवसर पर अध्यक्ष मल्लकुमार ने उद्बोधन दिया।महामंत्री सुरेन्द्र जैन ने महासंघ द्वारा किए जा रहे कार्यों की विस्तृत रुप रेखा देते हुए बताया कि महासंघ ने जीवरक्षा के क्षेत्र में निरंतर वृद्धि की हैं। संचालन श्रीवाल व सुनील भैयाजी, वीरेंद्र जैन मालथौन ने किया। इस अवसर पर झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मुंबई, दिल्ली, कटनी, ललितपुर, रहली आदि गोशालाओं के पदाधिकारी एवं बड़ी सं?या में गोभक्त उपस्थित थे।
त्रियंचों के प्रति रहना चाहिएदयाभाव
आचार्यश्री ने कहा कि कोई भी पक्षी बिना घोसले के नहीं रहता। वह गर्मी सर्दी के मौसम के हिसाब से अपनी नींद बनाता हैं, जिसे देखकर आज के इंजीनियर भी दंग हैं। वह पशु-पक्षी तो अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं, लेकिन वर्तमान में यह देखने में आ रहा है कि मानवीय संवेदनाएं मर चुकी हैं और मनुष्य कर्तव्यविहीन हो गया हैं। मनुष्यों का त्रियंचों के प्रति दया और करुणा का भाव हमेशा रहना चाहिए।
विषयों को रचने के लिएनहीं मिला है मानव जीवन
आचार्यश्री ने कहा कि यदि आपके अंदर दया, करुणा का स्थान नहीं है तो भगवान कुंद-कुंद देव उनको स?यकदृष्टि नहीं मानते। जो पशु पक्षी आपके घर में रहते हैं, वे आपके ऊपर भार नहीं हैं। लेकिन यदि वे भूखे प्यासे हैं तो यह आपकी भी जि?मेदारी है कि उनको भूखा प्यासा न रखा जाए। पशु-पक्षी हमेशा आपके सुख-दुखमें शामिल रहते हैं। जब कभी आपके घर में शोक होता है आपके घर से कोई चला जाता है तो वह पशु भी अपना भोजन नहीं करते, चारा आदि नहीं खाते हैं, और उनका मन भी दुखी हो जाता हैं। यह बात अलग है कि आप उनके उन आंसुओं को देख नहीं पाते हैं। विषयों के रचने पचने के लिए यह मनुष्य जीवन नहीं मिला है, विषयों से ऊपर उठकर अनासक्त भाव से रहेंगे तो निश्चित रूप से मोह का हनन और आज का त्याग धर्म सार्थक हो जाएगा।
पढऩा चाहिए जैन इतिहास
विषयों में रचने पचने के लिए यह मनुष्य जीवन नहीं है। जो पशु पक्षी आपके घर में रहते हैं तो आपके सुख-दु:ख में तो शरीक हो जाते हैं। लेकिन ये मानव इतना स्वार्थी हो गया हैं कि उनका शोषण कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि गायों का पालन करने के लिए वृषभनाथ भगवान से पूर्व में क्षेमांकर नाम के कुलकर हुए हैं उस समय में स्थापना हुई थी। लेकिन आज यह कहा जा रहा है कि जैनियों के यहां पशुपालन का कार्य नहीं होता उन लोगों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि आप लोगों को जैन और जैन इतिहास को अवश्य पढ़ लेना चाहिए और जैन समाज को संबोधित करते हुए कहा कि आपको उन लोगों को बताना नहीं है, यह करके दिखाना चाहिए।
राष्ट्र का संरक्षण बिना कृषि संभव नहीं
राष्ट्र का संरक्षण बिना कृषि के संभव नहीं हैं, जब तक आप पशु संरक्षण नहीं करोगे तब तक आपको खाद नहीं मिलेगा। विदेशी यूरिया की बात करते हुए आचार्य श्री ने कहा आपके यहां जो महारोग उत्पन्न हो रहे हैं, उसका कारण यह यूरिया एवं कीटनाशक दवाएं हैं। सुना है कि उस यूरिया को दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाया जा रहा है। सरकार को एवं जन नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जिन गरीब बच्चों को अमृत मिलना था उनको जहर पिला रहे हो और कहते हैं कि हमें आशीर्वाद दे दो। बताओ हम उनको क्या आशीर्वाद दें। आप लोग पास तो क्या आपकी सप्लीमेंट्री भी नहीं आ रही हैं।
मिलावट पर चिंता जाहिर की
मिलावट की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में औषधियों में भी मिलावट हो रही है।जिन औषधियों पर विदेशों में रोक हैं उन औषधियों को भारत में धड़ल्ले से बेचा जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि भारत को चारों तरफ से पीसा जा रहा हैं लेकिन आपको अभी तक बुद्धि नहीं आई। यह विज्ञान का सर्वे हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को दवा नहीं देना चाहिए। छोटे बच्चों को ज्यादा दवा देने से उनकी क्षमता में कमी आती हैं।
2025 तक हर घर में एक दो बच्चे रोगी पाए
युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जो दवाएं व्यसन के रूप में चल रही हैं उससे आज की युवा पीड़ी और और विक्षिप्त होती जा रही है। यदि आप लोग इस महारोग से बचना चाहते हो तो आपको पशुओं का संरक्षण करना पड़ेगा एवं विदेशी यूरिया के कारण से जो स्थिति सामने आने वाली है उसे रोकना होगा। अन्यथा ऐसी स्थिति आएगी कि 2025 तक हर घर में एक दो बच्चे रोगी पाए जाएंगे।