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‘कल्पसूत्र का हर शब्द मंत्र-तंत्र-यंत्र

locationदेवासPublished: Sep 10, 2018 12:36:55 am

आज मनेगा महावीर जन्म वाचन समारोह

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‘कल्पसूत्र का हर शब्द मंत्र-तंत्र-यंत्र

देवास.पर्युषण पर्व के अंतर्गत माणिभद्र मंडल द्वारा समाज के निशक्तजनों के घर पर भगवान को ले जाकर दर्शन एवं पूजन करवाने का रचनात्मक कार्य किया गया। साथ ही माणिभद्र मंडल ने प्रण लिया कि प्रतिवर्ष पर्युषण के दौरान यह पुण्य आयोजन किया जाएगा। समाजजनों ने मंडल के इस रचनात्मक कार्य की सराहना की।
शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर पर कल्प सूत्र गं्रथ की विस्तृत विवेचना करते हुए साध्वी शीलगुप्ता एवं शीलभद्रा ने कहा कि कल्पसूत्र ग्रंथ की रचना आचार्य भद्रबाहु स्वामी ने की एवं इसकी विषद व्याख्या विनय विजयजी ने की। उन्होंने कहा, जिसने भी पूर्ण श्रद्धा, तन्मयता एवं एकाग्रता से जीवन में 21 बार इस गं्रथ का श्रवण कर लिया उसका सातवें भव में मोक्ष निश्चित हो जाता है। महागं्रथ का हर एक शब्द मंत्र है, तंत्र है, यंत्र है। कल्पसूत्र की कई अनोखी बातों की तरफ ले जाते हुए उन्होंने ने कहा, महाग्रंथ में उल्लेख है, सहधर्मी, रूपवान, निरोगी, अच्छे स्वप्नों का दर्शन, नीति में रूचि तथा कविता रचने का जिसको शौक है, वह स्वर्ग से आया है, स्वर्ग में जाएगा। दंभ से दूर, दया-दान, दमन में खुशी, दक्ष व सरल मनुष्य में से आया है पुन: मनुष्य बनेगा। कपट, लोभ, आलसी तथा ज्यादा खाने वाला पशु में से आया है, पशु में जाएगा। कल्पसूत्र सभी शास्त्रों में सिरमौर है। साधु के दस आचारों का वर्णन, भगवान महावीर स्वामी के पूर्व भवों का संपूर्ण विवरण इसमें समाहित है।
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में जो महत्व गीता एवं रामायण का है, इस्लाम धर्म में जो महत्ता कुरान की है, ईसाई जगत में जो इज्जत बाइबल एवं सिक्ख समुदाय में जो गौरव गुरु ग्रंथ साहिब का है। वहीं महत्व, मान सम्मान एवं गौरव जैन धर्म में महानग्रंथ कल्पसूत्र का है। वर्तमान कलयुग एवं विषमकाल में परमात्मा द्वारा बताया गया ज्ञान ही जीवन की शुद्धि, विशुद्धि एवं परमशुद्धि का आधार बन सकता है। कल्पसूत्र में इस संसार का समग्र ज्ञान, विज्ञान एवं निदान समाहित है। कल्प याने आचार है।
साधु संतो एवं संसारी प्राणी के आचरण का संपूर्ण मार्गदर्शन इस ग्रंथ में समाहित है। इसी आचार के अनुरूप हमारे विचार बनते हैं। विचार एवं आचार दोनों परस्पर सापेक्ष गुण है। कल्पसूत्र ऐसी आलौकिक औषधि एवं रामबाण रसायन है, जिसमें जीवन के राग-द्वेष एवं तन के रोग-दोष को नेस्तनाबूत करने की असीम शक्ति समाहित है।
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि दोपहर में नवपद पूजन का आयोजन हुआ, जिसका लाभ मांगीलाल छगनीराम जैन परिवार ने प्राप्त किया। कल्पसूत्र स्थापित करने का लाभ चांदमल सूरजमल जैन परिवार ने प्राप्त किया। रात्रि को महाआरती के बाद भक्ति भावना के विशिष्ट आयोजन हुए।
आगामी कार्यक्रम के अंतर्गत 10 सितंबर को भगवान महावीर का जन्म वाचन समारोह मनाया जाएगा। दोपहर 1.30 बजे से प्रारंभ होने वाले इस समारोह में चौदह स्वप्न एवं महावीर पलना को झुलाने का विशिष्ट आयोजन होगा। समाजजनों को केशरिया छापे लगाए जाएंगे तथा रात्रि जागरण का कार्यक्रम होगा। समग्र जैन समाज का 10 सितम्बर का नियम महावीर जन्म वाचन के उपलक्ष्य में अपने सभी परिचितों का मुंह मीठा कराना एवं विशिष्ट पुष्पों से प्रभु की पूजन करना।
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