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अंदर से होमगार्ड के तीन जवान हटाए, सहायता केंद्र में एक-चार के बल की जगह रहता है अकेला जवान

locationदेवासPublished: Jun 09, 2019 11:51:55 am

Submitted by:

mayur vyas

-आपराधिक व हिंसक प्रवृत्ति वालों के साथ ही नशेडिय़ों के प्रवेश पर भी नकेल नहीं

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सत्येंद्रसिंह राठौर. देवास
शहर सहित जिले के अंचल के अधिकांश मरीजों के लिए सबसे बड़े अस्पताल के रूप में उपयोग होने वाले महात्मा गांधी अस्पताल की सुरक्षा के मामले में पुलिस-प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा गंभीर चूक की जा रही है। दिनों दिन अस्पताल के अंदर अपराधियों व हिंसक प्रवृत्ति वाले लोगों का दखल बढ़ता जा रहा है। अस्पताल के अंदर ही हथियार चल रहे हैं। सुरक्षा के लिए जो इंतजाम यहां थे, उनका और विस्तार करने की जगह उनमें कटौती कर दी गई जिसके बाद से लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अस्पताल में पहले होमगार्ड के तीन जवानों की ड्यूटी रहती थी जिन्हें करीब एक साल पहले हटा लिया गया। वहीं परिसर में स्थित पुलिस सहायता केंद्र मेें एक-चार का बल स्वीकृत है लेकिन जवान सिर्फ एक ही मौजूद रहता है।
जिला अस्पताल पर देवास शहर के अलावा देवास, सोनकच्छ, टोंकखुर्द, बागली विकासखंड के मरीज निर्भर हैं। इसके अलावा कन्नौद व खातेगांव विकासखंड के भी कईमरीज जिला अस्पताल आते हैं हालांकि यहां के कईमरीज इंदौर, हरदा, भोपाल सुविधाजनक होने के कारण वहां जाते हैं। जिला अस्पताल में दिनभर मरीजों व उनके परिजनों की भीड़ लगी रहती है। रोजाना ओपीडी में ही बड़ी संया में मरीज पहुंचते हैं। इसके अलावा आकस्मिक चिकित्सा वार्ड में २४ घंटे मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। मारपीट, विवाद, प्राणघातक हमले के कईमामलों में जिला अस्पताल के परिसर में दोनों पक्ष आमने-सामने हो चुके हैं लेकिन पिछले एक सप्ताह में अस्पताल के अंदर दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जिन्होंने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। मरीजों, परिजनों व स्टॉफ में भय का वातावरण बन गया है। अस्पताल में डॉक्टरों, स्टॉफ से मारपीट, तोडफ़ोड़ आम बात हो गईहै। इसके अलावा कई बार उपचार के दौरान भी डॉक्टरों पर दबाव बनाया जाता है।
रात में कईगुना बढ़ जाता है खतरा
जिला अस्पताल में यूं तो दिन में विवाद, मारपीट, हंगामा होना आम बात हो गई है लेकिन रात में यहां खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आपराधिक व नशेड़ी प्रवृत्ति वालों पर नजर रखने वाला कोई नहीं रहता है। ऐसे में कईबार जमकर उत्पात मचाया जाता है।
अकेला जवान कुछ नहीं कर पाता
जिला अस्पताल के परिसर में पुलिस सहायता केंद्र संचालित है। यहां एक-चार का बल स्वीकृत है लेकिन कईवर्षों से एक ही जवान के भरोसे व्यवस्था चल रही है। दो जवान 12-12 घंटे की ड्यूटी क्रम से करते हैं और इनका काम अस्पताल से प्राप्त होने वाली सूचनाओं को संबंधित थाने तक पहुंचाने तक ही सिमटा हुआ है क्योंकि विवाद की स्थिति में कईलोगों को संभालना अकेले जवान के बस की बात नहीं है।
होमगार्ड के जवानों से थी कुछ सुविधा
जिला अस्पताल के अंदर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए करीब एक साल पहले तक होमगार्ड के तीन जवान तैनात रहते थे, इससे काफी सुविधा रहती थी, फिर अचानक इनको हटा लिया गया।कहने के लिए तो अस्पताल प्रबंधन के गार्ड भी हैं लेकिन न तो उनकी कोई बात सुनता है न ही उनको गंभीरता से लेता है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार इन गार्डों का मुय काम व्यवस्थाओं में सहयोग करना है न कि सुरक्षा का जिमा संभालना फिर भी कईबार इनकी सेवाएं सुरक्षा में ले ली जाती हैं।
हम तो हर पल डर के बीच काम करते हैं..
मेरी ड्यूटी इमरजेंसी वार्ड में रहती है। विवाद, हंगामे के लिहाज से जिला अस्पताल में यही सबसे संवेदनशील जगह है। यहां अक्सर कुछ न कुछ चलता रहता है। हमेशा डर के बीच हमको काम करना पड़ता है, कईबार गुंडे व नशेड़ी लोग अंदर घुस आते हैं, अभद्र व्यवहार भी करते हैं। जिमेदारों से कई बार निवेदन कर चुके हैं लेकिन कोई पुता इंतजाम नहीं हो रहे हैं। दिन में तो कुछ बवाल होने पर आसपास से लोग मदद के लिए आ जाते हैं लेकिन रात में तो भगवान भरोसे ही रहते हैं।
(जैसा कि इमरजेंसी वार्ड की एक नर्स ने बताया।)
एक नजर में जिला अस्पताल
-800-900 मरीज रोजाना ओपीडी में पहुंचते हैं अस्पताल।
-400 बेड हैं विभिन्न वार्डों में, अधिकांश समय रहते हैं फुल।
-40 डॉक्टर जिनमें से १९ विशेषज्ञ व करीब २० सेकंड क्लास हैैं।
-150 का हैनर्सिंग स्टॉफ जिसमें सिर्फ महिलाएं हैं।
-80 के लगभग हैं कंपाउंडर, वॉर्ड बॉय व ड्रेसर।
वर्जन
अस्पताल के अंदर हो रही मारपीट के मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है। इस संबंध में सिविल सर्जन द्वारा पुलिस अधिकारियों से चर्चाकी गई है।
-वी.के. सिंह, सीएमएचओ देवास।
जिला अस्पताल में हमेशा भीड़भाड़ की स्थिति रहती है, विवाद की घटनाएं भी कईबार सामने आ रही हैं। इन स्थितियों को देखते हुए पुलिस सहायता केंद्र में अधिकारी व कुछ जवान तैनात करने के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते हुए मार्गदर्शन मांगा है। जल्द ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
अनिलसिंह राठौर, सीएसपी देवास।

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