इस सीजन में 89 मिमी बारिश दर्ज, पिछले साल से आधी से भी कम
इस मानसून सत्र में जिले के वर्षामापी केन्द्रों पर औसत रूप से कुल 89 मिमीवर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख के अनुसार देवास में 69 मिमी, टोंकखुर्द में 104 मिमी, सोनकच्छ में 124 मिमी, हाटपीपल्या में 52 मिमी, बागली में 37 मिमी, उदयनगर में 62 मिमी, कन्नौद में 90 मिमी, सतवास में 34 मिमी तथा खातेगांव में 229 मिमी औसत वर्षा रिकॉर्ड की गई। पिछले साल इस अवधि तक 195 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी।
इस मानसून सत्र में जिले के वर्षामापी केन्द्रों पर औसत रूप से कुल 89 मिमीवर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख के अनुसार देवास में 69 मिमी, टोंकखुर्द में 104 मिमी, सोनकच्छ में 124 मिमी, हाटपीपल्या में 52 मिमी, बागली में 37 मिमी, उदयनगर में 62 मिमी, कन्नौद में 90 मिमी, सतवास में 34 मिमी तथा खातेगांव में 229 मिमी औसत वर्षा रिकॉर्ड की गई। पिछले साल इस अवधि तक 195 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी।
देवगढ़ क्षेत्र में झमाझम बारिश, मऊ नदी उफनी, रास्ते रहे बंद
देवगढ़. क्षेत्र में गुरुवार दोपहर 12 बजे से झमाझम बरसात शुरू हुई जिसके कारण घुसट में मऊ नदी उफान पर आ गई। हाटपीपल्या से सिद्दीकगंज खाचरोद मार्ग करीब डेढ़ घंटे बंद रहा। इसी प्रकार टप्पा का नाला 2 साल बाद उफान पर आया जिसकी वजह से आधा घंटे तक हाटपीपल्या टप्पा सिद्दीकगंज मार्ग बंद रहा। क्षेत्र के नानूखेड़ा, टप्पा, आमलाताज, फांगटी, चिलखी, गोला, खोकरिया, कोपला सहित अधिकतर गांव में बोवनी नहीं हुई थी अब यहां किसान बोवनी की शुरुआत करेंगे। देवगढ़, हाथी गुराडिय़ा, मनापिपलिया, बडिय़ामांडू, धनोरी, बरखेड़ालाड़, हैदरपुर, शमशाबाद, भटोनी आदि गांव में बोवनी हो गई थी लेकिन पानी की कमी से सोयाबीन की फसल अंकुरित नहीं हो रही थी।
देवगढ़. क्षेत्र में गुरुवार दोपहर 12 बजे से झमाझम बरसात शुरू हुई जिसके कारण घुसट में मऊ नदी उफान पर आ गई। हाटपीपल्या से सिद्दीकगंज खाचरोद मार्ग करीब डेढ़ घंटे बंद रहा। इसी प्रकार टप्पा का नाला 2 साल बाद उफान पर आया जिसकी वजह से आधा घंटे तक हाटपीपल्या टप्पा सिद्दीकगंज मार्ग बंद रहा। क्षेत्र के नानूखेड़ा, टप्पा, आमलाताज, फांगटी, चिलखी, गोला, खोकरिया, कोपला सहित अधिकतर गांव में बोवनी नहीं हुई थी अब यहां किसान बोवनी की शुरुआत करेंगे। देवगढ़, हाथी गुराडिय़ा, मनापिपलिया, बडिय़ामांडू, धनोरी, बरखेड़ालाड़, हैदरपुर, शमशाबाद, भटोनी आदि गांव में बोवनी हो गई थी लेकिन पानी की कमी से सोयाबीन की फसल अंकुरित नहीं हो रही थी।