दरअसल भाजपा में अब तक कई स्टार प्रचारक आ चुके हैं, लेकिन देवास में कोई नहीं आया। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आष्टा में, गृह मंत्री राजनाथ सिंह खातेगांव में, प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह खातेगांव व आगर में, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान टोंकखुर्द, शाजापुर व चापड़ा में, स्मृति ईरानी शुजालपुर व सतवास में तथा प्रज्ञासिंह आगर में आ चुकी हैं। देवास में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जरुर आए लेकिन न रोड शो किया न सभा, सिर्फ प्रबुद्धजनों से चर्चा कर चले गए। ऐसे में इस चुनाव में देवास विधानसभा में भाजपा की ओर से कोई स्टार प्रचारक नहीं आया जबकि कांग्रेस ने यहां नवजोत सिंह सिद्धू को बुलाया था। कांग्रेस की ओर से हाटपीपल्या, सोनकच्छ में भी कोई नहीं आया जबकि यहां कमलनाथ, सिंधिया के आने की बात कही जा रही थी। दिग्विजय सिंह जरूर देवास विधानसभा के विजयागंज मंडी पहुंचे थे। इसी तरह गुरुवार को सीएम कमलनाथ बागली विधानसभा के पुंजापुरा पहुंचे।
प्रज्ञासिंह के आने की अटकलें, संगठन ने कहा कोई सूचना नहीं देवास में किसी स्टार प्रचारक के न आने को इस बात से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि यहां जरुरत नहीं लग रही। असल में देवास में स्टार प्रचारकों को बुलाने या न बुलाने का निर्णय संगठन नहीं ले पाता क्योंकि यहां विधायक का वर्चस्व है। विधानसभा चुनाव में भी यही हुआ था जब यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के देवास आने की अटकलें चली थी लेकिन अल्पसंख्यकों की नाराजगी की भनक लगते ही इसे टाल दिया। साध्वी प्रज्ञा सिंह की छवि भी कट्टर हिंदुत्व की है ऐसे में भाजपा उन्हें देवास बुलाकर दूसरे तबके को नाराज नहीं करना चाहती। संगठन पदाधिकारी कह रहे हैं कि प्रज्ञासिंह के देवास आगमन का कोई कार्यक्रम ही नहीं आया। ऐसे में कोई क्या बात कर रहा है सब निराधार है। भाजपा पदाधिकारी चाहे जो कहे लेकिन प्रज्ञासिंह के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से शेयर पोस्ट में उनके देवास आगमन की बात लिखी गई थी।
आज प्रचार का आखिरी दिन आज चुनाव का प्रचार का आखिरी दिन है। आज शाम पांच बजे प्रचार थम जाएगा। दोनों दलों के प्रत्याशी आज शाम तक अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। भाजपा प्रत्याशी सोलंकी अब तक देवास को ज्यादा समय नहीं दे पाए थे इस कारण दो दिनों का उनका देवास दौरा तय किया गया लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के कार्यक्रम पर संशय है। कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस कर रही है। देवास विधानसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब ही रहा है और यहां का संगठन भी प्रत्याशी का साथ नहीं दे रहा। इसके चलते प्रत्याशी खुद तो दूसरे इलाकों में जा रहे हैं और उनके बेटे शहर में घर-घर पहुंच रहे हैं। कांग्रेसी ही कह रहे हैं कि शहरी वोटर भाजपा का है जबकि गांवों में कांग्रेस पर भरोसा है।