पहली बार बच्चे गवाई जहाज में बैठे। जिले में यह पहली बार हुआ है जब किसी शिक्षक ने अपने खर्च पर बच्चों को हवाई यात्रा करवाई हो। दरअसल, आगरोद संकुल के ग्राम बिजेपुर के शासकीय स्कूल के प्रधान अध्यापर किशोर कनासे ने अपने खर्च से विधालय के 19 बच्चों को हवाई यात्रा करवाई और दिल्ली ले गए। कनासे बताया कि बच्चे पहली बार हवाई जहाज में बैठे थे।
बच्चों को यकीन नहीं हुआ
स्कूल के हेडमास्टर ने कहा कि इस बारे में जब बच्चों को जानकारी दी तो उन्हें यकीन नहीं हुआ। फिर उनके अभिभावकों से चर्चा की। सभी की सहमति के बाद बच्चों को दिल्ली ले गए। पहले इंदौर गए, जहां से हवाई जहाज में बैठे और दिल्ली पहुंचे। यहां लाल किला, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, मुगल गार्डन, लोटस टेंपल, अक्षरधाम आदि स्थानों पर ले गए। साथ में विद्यालय के शिक्षक नितिन गुप्ता और शिक्षिका आशा तिलोदिया भी थे। सभी लोग सफर के दौरान साथ रहे।
स्कूल के हेडमास्टर ने कहा कि इस बारे में जब बच्चों को जानकारी दी तो उन्हें यकीन नहीं हुआ। फिर उनके अभिभावकों से चर्चा की। सभी की सहमति के बाद बच्चों को दिल्ली ले गए। पहले इंदौर गए, जहां से हवाई जहाज में बैठे और दिल्ली पहुंचे। यहां लाल किला, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, मुगल गार्डन, लोटस टेंपल, अक्षरधाम आदि स्थानों पर ले गए। साथ में विद्यालय के शिक्षक नितिन गुप्ता और शिक्षिका आशा तिलोदिया भी थे। सभी लोग सफर के दौरान साथ रहे।
हमेशा कुछ अलग करने का होता था मन
हेडमास्टर कनासे ने कहा कि मेरा मन हमेशा कुछ अलग करने का रहता है। गांव के बच्चों को भी वे सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए जिनका वे सपना देखते हैं। इसलिए मैं हर साल बच्चों को अपने खर्च पर घुमाने ले जाता हूं। कुछ साल पहले ट्रेन से ले गया था। तब भीबच्चे पहली बार ट्रेन में बैठे थे। इस बार हवाई जहाज की योजना बनाई। बच्चों को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने बताया कि हम तो सिर्फ फिल्मों में या आसमान में उड़ते हवाई जहाज को ही हेखते थे।
हेडमास्टर कनासे ने कहा कि मेरा मन हमेशा कुछ अलग करने का रहता है। गांव के बच्चों को भी वे सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए जिनका वे सपना देखते हैं। इसलिए मैं हर साल बच्चों को अपने खर्च पर घुमाने ले जाता हूं। कुछ साल पहले ट्रेन से ले गया था। तब भीबच्चे पहली बार ट्रेन में बैठे थे। इस बार हवाई जहाज की योजना बनाई। बच्चों को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने बताया कि हम तो सिर्फ फिल्मों में या आसमान में उड़ते हवाई जहाज को ही हेखते थे।
बच्चों ने कहा कि सोचते थे कि इसमें कैसे बैठते होंगे। कैसे उड़ता होगा। हेडमास्टर ने कहा कि बच्चों के चेहरे की खुशी देखकर बहुत अच्छा लगा। संभवत: जिले में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी शासकीय स्कूल के बच्चों को हवाई यात्रा करवाई है। कनासे ने कहा कि वे स्कूल के बच्चों के लिए अपने प्रयासों से कभी किताब कॉपियां, कभी स्कूल बैग तो कभी स्वेटर की व्यवस्था करते हैं। साथ ही संकुल के माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए साल में एक बार खेल प्रतियोगिता का आयोजन कर बच्चों को प्रोत्साहित भी करते हैं।