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पत्रिका एक्सलूसिव सस्ती बिजली लेकर किसी ने 10 तो किसी ने 30 से 40 हजार रुपए बचाए, अब चल सकता वसूली का डंडा

नई सरकार के जांच के आदेश के बाद संबल योजना से बाहर कर दिए गए थे 24 हजार उपभोक्ता पूर्व सरकार की संबल योजना फिर से चर्चा में, अगर वसूली हुई तो सरकार को जिले से ही करोड़ों का राजस्व मिल जाएगा

देवासNov 18, 2019 / 11:51 am

mayur vyas

( अमजद शेख)
देवास. मप्र के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के समय की मुख्यमंत्री जन कल्याण(संबल) योजना में जांच करवाकर अपात्रों को कमलनाथ सरकार बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं। दो माह पहले घर-घर जाकर नगर निगम की टीम ने संबल योजना से जुड़े हितग्राहियों का भौतिक सत्यापन किया था। शहर के अंदर सत्यापन के बाद करीब 24 हजार से अधिक लोग इस योजना से बाहर हो गए थे। भाजपा सरकार के समय की संबल योजना में पंजीयन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन थी, उसके बाद लोगों को नगर निगम आकर भौतिक सत्यापन करवाना था लेकिन ये नहीं किया गया, जो निगम के अधिकारी थे उन्होंने भी उस समय इस पर तव्वजो नहीं दी। अब सरकार ऐसे अपात्र लोगों से राशि वसूली का मन बना रही हैंं, अगर ऐसा हुआ तो फिर देवास जिले से ही वसूली का आंकड़ा करोड़ों रुपए में पहुंच जाएगा।
मप्र की भाजपा सरकार के समय शुरू की गई संबल योजना पर जांच बैठ सकती हैं। प्रदेश के श्रम मंत्री महेंद्रसिंह सिसोदिया ने इसे लेकर स्थिति भी साफ कर दी हैं। मंत्री सिसोदिया के अनुसार आगामी कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा कि ऐसे लोगों से वसूली की जाए जिन्होंने गलत तरीके से इसका लाभ उठाया हैं। घोटाले के कारण संबल योजना बदनाम हो गई हैं। अगर ऐसा हुआ तो शहर सहित जिले के वे लोग भी फंस जाएंगे जिन्होंने पात्रता नहीं होने के बावजूद इस योजना से जुडक़र लाभ उठाया था। संबल योजना शिवराजसिंह चौहान सरकार के समय ऐसे वक्त शुरू की गई थी जब आचार संहिता लागू होने में कुछ ही दिन बाकी थे, उस समय आनन फानन में योजना लाकर अधिक से अधिक लोगों को इस योजना से जोडऩे का अभियान शुरू किया गया था। हालाकि उस समय भी पत्रिका ने योजना के क्रियान्वयन के तरीके पर सवाल खड़े किए थे व हर वार्ड से आंख मंूदकर बना दिए मजदूर कार्ड शीर्षक से 1 अगस्त 18 को खबर भी प्रमुखता से प्रकाशित की थी। लेकिन उस समय नगर निगम की पूरी टीम युद्धस्तर पर सिर्फ और सिर्फ अधिक से अधिक लोगों के नाम इस योजना से हर हाल में जोडऩा चाहती थी ताकि संबल योजना से जुडक़र हितग्राही सस्ती बिजली पा सके। नगर निगम व बिजली कंपनी के अफसरों के बीच इसे लेकर कभी भी बैठक नहीं हुई थी। सिर्फ नगर निगम पंजीयन कर संबल योजना के कार्ड बना देती व उस आधार पर बिजली कंपनी लोगों को 200 रुपए प्रतिमाह पर बिजली देती गई। नगर निगम ने हर वार्ड में अपने कर्मचारी पहुंचाकर लोगों के संबल योजना में पंजीयन करवाए, देखते ही देखते हर वार्ड से हजारों की संख्या में संबल योजना से जुड़ गए। बिजली कंपनी ने इस योजना के अंतर्गत 30 जून 2018 तक का जितना भी बकाया था, वह पूरा माफ कर दिया था।
शहर के अंदर 64 हजार 881 लोग हुए थे पंजीकृत
संबल योजना में नगर निगम ने 64 हजार 881 कार्ड बनाए थे। कार्ड बनने के बाद समारोहपूर्वक आयोजन कर लोगों को योजना के कार्ड दिए गए थे। इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया गया था। लोगों ने इस कार्ड के आधार पर बिजली कंपनी से 200 रुपए में सस्ती बिजली योजना का लाभ उठाया। बिजली कंपनी ने अपनी गाइड लाइन को भी एक तरह सरकाते हुए सिर्फ संबल योजना के कार्ड के आधार पर सस्ती बिजली योजना रेवड़ी की तरह बांट दी थी। उस समय बिजली उपभोक्ताओं से फोन कर मजदूर कार्ड व बीपीएल कार्ड के बारे में पूछा जाता व हां करने पर योजना से जुडऩे का आग्रह किया जाता। बाद में जब प्रदेश में नई कांग्रेस की सरकार आई तो इस योजना पर सवाल उठने लगे थे। सरकार के लिए भी इस योजना को चलाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा था क्यों कि हजारों लोग योजना से जुड़ गए थे। इसके बाद सरकार ने भौतिक सत्यापन के आदेश जारी कर दिए। नगर निगम ने शुरू में सत्यापन कार्य में ठंडा रूख दिखाया लेकिन जिला प्रशासन की सख्ती के बाद फिर से काम में गति आई व शहर से 24 हजार लोगों को अपात्र मना गया, ये वे लोग थे जो संबल योजना के कार्ड के आधार पर बिजली कंपनी से सस्ती बिजली लेते रहे। अब सर्वे में मिले ऐसे अपात्रों से सरकार राशि वसूलने का मन बना रही हैं। हालाकि योजना में अभी भी 40 हजार लोग जुड़े हुए हैं लेकिन माना जा रहा है कि अगर सर्वे ठीक से हुआ होता तो ये संख्या और अधिक कम हो जाती।
सिर्फ निगम से बना कार्ड देखा…
बिजली कंपनी ने उस समय सरल योजना में 200 रुपए में प्रतिमाह बिजली दी थी। इस योजना के तहत बिजली लेने के लिए वही उपभोक्ता पात्र थे, जिनके पास नगर निगम से असंगठित क्षेत्र का मजदूरी कार्ड जारी किया गया है या फिर बीपीएल कार्ड उसके पास है। मजदूर कार्ड व बीपीएल कार्ड लेकर आने वाले हितग्राही को योजना में शामिल करने से पहले बिजली कंपनी को घर का सर्वे करना था, लेकिन अफसरों पर ऊपर से आ रहे दबाव के कारण जल्दबाजी में ये नहीं किया गया। योजना की शर्तों के अनुसार घर का लोड 1 हजार वाट होना चाहिए था, घर में हीटर, एसी नहीं होना चाहिए था, अगर ये दोनों उपकरण घर में हुए तो अपात्र हो जाएंगे। लेकिन बिजली कंपनी ने ऐसा कोई सर्वे किया ही नहीं था। इस योजना से 24 हजार से अधिक अपात्रों ने जुडक़र छह माह से अधिक समय तक सस्ती बिजली का लाभ लिया। अगर अब आगे इसमें वसूली होती है तो लोगों हजारों रुपए जमा करने पड़ सकते हैं। इस योजना से जुडक़र लोगों ने छह माह में 10 से लेकर 30 से 40 हजार रुपए तक बचा लिए थे, अब ऐसे लोगों पर वसूली की तलवार लटक गई हैं।
वर्जन- संबल योजना में काफी घपला सामने आया है। मेरी जानकारी के अनुसार ही 70 लाख फर्जी नाम जोड़े गए हैं। सरकार ने इसकी जांच भी करवाई थी। श्रम मंत्री महेंद्रसिंह सिसोदिया की बात को अधिकृत माना जाना चाहिए।
सज्जनसिंह वर्मा, लोक निर्माण विभाग व पर्यावरण मंत्री
मप्र शासन।

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