संप्रदाय, जातिवाद में भटक गया युवा युवाओं को संप्रदाय, जातिवाद की भावना से निकालना होगा। जातिवाद हटने के बाद ही हमारे देश से भ्रष्टाचार हटेगा। इन बीमारियों के रहते देश तरक्की नहीं कर सकता। भ्रष्टाचार आप पार्षद के चुनाव में ही देख लीजिए। पार्षद का चुनाव जीता व्यक्ति कुछ दिन बाद करोड़पति हो जाता है। ऐेसे लोगों पर शासन की सख्त निगाह होना चाहिए। अमीर लोग भ्रष्टाचार कर देश छोड़ जाते हैं। युवाओं को पहले एनसीसी की ट्रेेनिंग दी जानी चाहिए। उसमें ऐसी सोच बनाना चाहिए कि वो जाति, धर्म की नफरत से बाहर निकले।
सैयद अब्दुल बारी
अध्यक्ष, ब्राइट स्टार स्कूल एसोसिएशन
स्वच्छ राजनीति के लिए जरूरी लोग जुड़े राजनीति से जुडऩे का मतलब चुनाव लडऩा नहीं है। स्वच्छ राजनीति के लिए जरूरी है कि इससे लोग भी जुड़े। अभी हमने राजनीति के मुद्दे से दूरी बना रखी है। पढ़े लिखे लोगों को सक्रिय होना पड़ेगा, तभी गलत लोगों को सबक सीखा पाएंगे। देश प्रेम की भावना आने के बाद ही भूमिका सक्रियता से तय होगी। आज प्रतियोगिता का दौर है, केवल अच्छी नौकरी के बारे में युवा सोचता है। इस सोच के साथ ही जब तक देश के लिए अपनी जिम्मेदारी का भाव युवाओं में नहीं आएगा, तब तक वो राजनीति के क्षेत्र से नहीं जुड़ेगा। राजनीति से जुडऩे का मतलब केवल चुनाव लडऩा नहीं है। सिस्टम में सुधार जरूरी है। मानसिकता भी बदलना होगी।
डॉ. प्रो. हन्नान फारूकी,
प्रधानाचार्य एवं डायरेक्टर यूनानी मेडिकल कॉलेज
सोच बन गई राजनीति हमारे लिए नहीं राजनीतिक शुचिता शुरू से चुनौतीपूर्ण मुद्दा रहा है। प्रबुद्धजन के जेहन में लगातार बना रहा कि राजनीति हमारे लिए नहीं है। राजनीति में अच्छे लोगों का प्रवेश नहीं होगा तब तक शुचिता कैसे होगी। एक अच्छा व्यक्ति कुर्सी से चिपका नहीं रहेगा। हम टिकट के लिए पार्टियों में लड़ाई में देखते है कि बुजुर्ग, युवा को आने नहीं देना चाहते। ऐसे में युवा की भूमिका पर हमेशा प्रश्न चिन्ह बना रहेगा। युवा की परिभाषा भी स्पष्ट होना चाहिए। युवा होना भी सापेक्ष बात हो चुकी है। युवा वो जो देश के लिए कुछ करना चाहे, उसे पूरा मौका मिले। जिस दिन राजनीति में भी युवा करियर के रूप में बनाने लगेगा, उस दिन से राजनीति में शुचिता आएगी। आज दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज के समय तो कोई भी युवा राजनीति में नहीं जाना चाहता। युवा में ऊर्जा व उत्साह है लेकिन उसके लिए ऐसी स्थितियां अभी नहीं बन पा रही है।
मनीष शर्मा
डायरेक्टर, ईटी
राजनीति में आ रहे धनबल-बाहुबल वाले अच्छे लोगों को राजनीति में आना चाहिए। पत्रिका ने अच्छा मुद्दा उठाया। इसके लिए पत्रिका को साधुवाद देना चाहता हूं। नेता अपना स्वहित छोड़े, देश हित की बात करे। आज धनबल व बाहुबल वाले राजनीति में आ रहे हैं, इसके बिना तो आज के समय राजनीति करना असंभव ही माना जाता है। चुनाव के समय पैसा, शराब बांटा जाता है। जनता को अधिकार मिलना चाहिए कि वो चुने हुए नेता के भ्रष्ट आचरण के बाद उसे वापस हटा सके। पांच साल का इंतजार नहीं करना पड़े। चुनाव में एक करोड़ खर्च करना आज आम बात है। एक करोड़ खर्च करने वाला बाद में 10 करोड़ कमाता है। युवा की देश को बहुत आवश्यकता है। जब तक भ्रष्टाचार व अन्य विसंगतियों पर प्रहार करने की सोच युवाओं में नहीं आएगी तब तक राजनीति में युवा की इंट्री नहीं होगी।
डॉ. आरएस दुबे
पूर्व अध्यक्ष रोटरी क्लब
जनता के बीच जाने से बनेगी अलग पहचान युवा को राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए जनता के बीच जाना होगा। जनता के मुद्दों पर काम करते हुए वो अपनी एक अलग पहचान बना लेगा। आज आम जनता तहसील, अस्पताल व अन्य जगह भ्रष्टाचार के चलते परेशान है। अगर युवा अपनी सक्रिय भागीदारी आमजनता के बीच शुरू कर दे तो आगे सक्रिय राजनीत में उसकी जगह खुद ही बन जाएगी।
बंटी तोमर,
सामाजिक कार्यकर्ता
युवाओं के लिए कोई जगह नहीं अभी राजनीति में भाई-भतीजावाद जमकर है। युवाओं के लिए कोई जगह नहीं है। जनता के बीच सक्रिय रहकर काम करने वालों को टिकट नहीं दिया जाता है। युवा केवल डंडे-झंडे उठाने के लिए है, ऐसे में बदलाव नहीं आएगा। जब तक निकम्मे व भ्रष्ट नेताओं को बाहर नहीं किया जाएगा तब तक राजनीति में सुधार नहीं आएगा। किसी भी सरकारी ऑफिस में जनता अपने बूते काम नहीं करा पाती है। नेताओं के फोन व दबाव के बाद ही काम होते हैं। ये स्थिति नेताओं को संरक्षण देती है। मीडिया बदलाव के लिए आगे आएगी तो अच्छे लोगों को मौका मिलेगा, नए लोगों को पहचान मिलेगी।
राजेश जैन, सामाजिक कार्यकर्ता।
पार्टियां तय करे अच्छे को मिले टिकट आज की राजनीति में भ्रष्टाचार चरम पर है। टिकट लेने वाला करोड़ों रुपए देकर टिकट लाता है। तय किया जाना चाहिए कि अच्छे लोगों को ही टिकट मिले। सोशल मीडिया का युवा आज भटका हुआ है, नफरत की सोच लेकर बाजार में ऐसा युवा घुम रहा है। अच्छी सोच से ही युवा देशहित के बारे में सोच सकता है। भ्रष्टाचार ऊपर से ही चल रहा है। सरकारी कार्यालय में बिना दिए कोई काम नहीं होता। राजनीति में अच्छे लोग आएंगे तभी स्वच्छता आएगी।
मुस्तफा सैफी
स्कूल संचालक।
आज का युवा भटका हुआ युवाओं को नहीं मालूम की सही क्या, गलता क्या हैं। मीडिया एक माध्यम हो सकता हैं भरोसा जीतने का। आज सोशल मीडिया में ऊपर से आई चीजों को सही मानकर युवा चलता है। मीडिया ही सिर्फ जागरूक कर सकता हैं। एक विचारधारा में बचपन से ही दक्ष कर दिया जाता हैं। युवा एक बंधी सोच के साथ आगे बढ़ता हैं। शिक्षा की तरफ युवाओं को ले जाना होगा। कट्टरता , नफरत खत्म करनी होगी। अपनी जवाबदारी समझना होगी। मीडिया को बदलाव का जिम्मा उठाना होगा।
मुस्तफा अली, समाजसेवी।
सिर्फ शिक्षित लोग आए ऐसा बने नियम आज के समय में राजनीति का स्वरूप बिगड़ा हुआ हैं, इसमें सुधार जरूरी हैं। चुनाव आयोग को एक नियम बनाना चाहिए कि शिक्षित लोग ही राजनीति में आएंगे। अभी वशंवाद चल रहा हैं, सांसद का बेटा सांसद बन रहा हैं। युवाओं को आगे बढ़ाना होगा। चौथा स्तंभ आगे आए तो युवाओं को जगह मिलेगी। कुछ समय लगेगा लेकिन सुधार आएगा। आज युवाओं को दिशा नहीं मिल पा रही हैं।
संजय शुक्ला,
अध्यक्ष सर्व ब्राह्मण महासंघ
तय हो रिटायरमेंट की उम्र राजनीति में जो भी युवा आाता हैं वो धर्म का रास्ता अपनाता हैं। धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से राजनीति में जंप करने की सोचता हैं। ऐसे में वो अच्छी सोच से शुरुआत में ही भटक जाता हैं। राजनीति में भी रिटायर की उम्र तय होना चाहिए। शिक्षित लोग राजनीति में आए इसके लिए कानून में भी बदलाव आना चाहिए। आज नेता अफसरों की सांठगांठ है जो भ्रष्टचार को बढ़ा रहा हैं। युवा आकर ही इसमें बदलाव ला सकते हैं।
जमुनालाल वर्मा,
व्यवसायी।
युवाओं को मौका मिले राजनीति में बदलाव तभी आएगा जब बड़ी संख्या में युवा इसमें भागीदारी करेंगे। ये बिना कानून के संभव नहीं है। जैसे सरकारी नौकरी में एक उम्र के बाद बाहर कर दिया जाता है, ऐेसा ही मानक राजनीति के क्षेत्र के लिए भी बनना चाहिए। मेरा संदेश यही है कि युवा नशे व मांसाहार से दूर रहें।
हरीश श्रीवास, व्यवसायी।