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ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों को नहीं मिले शिक्षक, अब फिर से होगा युक्तियुक्तकरण

locationदेवासPublished: May 10, 2019 12:08:35 pm

Submitted by:

Amit S mandloi

– दो साल पहले नगरीय क्षेत्र के शिक्षकों ने बनाया था दबाव

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देवास. जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां पर शिक्षकों को भेजने की कवायद फिर से की जाएगी। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। अप्रैल महीने के आखिरी सप्ताह में हर स्कूल की स्थापना शाखा से शिक्षकों व विद्यार्थियों की संख्या शिक्षा विभाग ने जुटाई है, ये जानकारी भोपाल पहुंचाई जाएगी। दो साल पहले युक्तियुक्तकरण का शिक्षकों की तरफ से काफी विरोध किया गया था। शिक्षकों की तरफ से इसमें कई विसंगतियां गिनार्इं गई थी, अधिकांश विरोध शहरी व नगरीय क्षेत्र के शिक्षकों का था जो ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में नहीं जाना चाहते थे। ऐसे में इस बार फिर सवाल उठ रहे है कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया बिना किसी विरोध के कैसे पूरी होगी?
दायरे में आए थे 150 से 200 शिक्षक

दो वर्ष पूर्व युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में जिले के पांचों ब्लॉक से करीब 150 से 200 शिक्षक इधर से उधर हुए थे। इस प्रक्रिया में कई शिक्षक अपनी मूल संस्था में डटे रहे थे, जिन्हें देख अन्य शिक्षकों ने भी हिम्मत भरी थी तथा वे भी अपनी मूल शाला में बने रहे। कई शिक्षकों को अन्य स्कूलों में युक्तियुक्तकरण के बाद शिक्षा विभाग नहीं भेज सका था। कई शिक्षकों की नेतागिरी शिक्षा विभाग के अफसरों पर भारी पड़ गई थी। विभाग के द्वारा अतिशेष शिक्षकों सहित शालाओं में कम शिक्षकों की पूर्ति के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया दो वर्ष पूर्व असफल साबित हुई थी, ये विवादों में घिरी रही। जमकर पक्षपात की शिकायतें हुई जिसके चलते बार-बार इसकी समय सीमा बदलती रही। उसके बाद शहरी शालाओं में वर्षों से जमे कुछ शिक्षक-शिक्षिकाओं को हटा दिया गया था, कुछ को दिखावे के नाम पर एक शाला से दूसरी शाला में पहुंचा दिया गया था।
ग्रामीण क्षेत्रों में चाहिए 700 से 800 शिक्षक

युक्तियुक्तकरण का मूल उद्देश्य था कि जहां शिक्षकों की अधिकता है वहां से कुछ शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजा जाए जहांं शिक्षकों की भारी कमी है। लेकिन ये विजन सफल नहीं हो सका। आज दो साल बाद भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है। दो साल पहले युुक्तियुक्तकरण की प्रकिया में ये बात सामने आई थी कि नगरीय क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की अधिकता है, लेकिन शहरी क्षेत्र में जमे ये शिक्षक किसी भी हाल में ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जाना चाहते थे। आज दो साल बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी खत्म नहीं हुई है।
एक शाला एक परिसर के बाद कम हुए शिक्षक
शासन ने कई कम संख्या वाले स्कूलों को आपस में मर्ज कर दिया है। एक शाला एक परिसर के नाम से चलाई इस योजना के बाद जिले में भी कई स्कूल एक परिसर में आ गए है। युक्तियुक्तरण में अब इन स्कूलों के अतिशेष शिक्षकों को भी शामिल किया जाएगा।
तय मापदंड पर आना, लेकिन ये हो नहीं सका

आरटीई के तहत जो मापदंड तय किए गए है उस अनुसार सरकारी स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों का अनुपात नहीं हो पा रहा है। मीडिल, हाईस्कूल व हायरसेकंडरी स्कूलों के लिए अलग-अलग शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात तय किया गया था। लेकिन युक्तियुक्तकरण नहीं होने से स्कूलों में शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात अब भी गड़बड़ाया हुआ है।
अभी चल रही विभागीय तैयारी

शिक्षा विभाग ने अभी लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त के आदेश के अनुसार स्कूलों से शिक्षकों व विद्यार्थियों की संख्या जुटा ली है। इसके लिए 25 अप्रैल तक का समय तय किया गया था। इस दिन तक प्रविष्ठी के लिए पोर्टल खुला रहा। विभाग के द्वारा सभी जानकारियां समय सीमा में उपलब्ध कराने के लिए शाला के प्राचार्य और प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी तय की गई थी। जिसके बाद प्राचार्य और प्रधानाध्यापकों द्वारा शिक्षकों और शालाओं की पूरी जानकारी अपडेट की गई। लोकसभा चुनाव के बाद वे वे शिक्षक भी नहीं बच पाएंगे जो वर्षों से किसी न किसी प्रभाव के कारण शहरी क्षेत्र से ग्रामीण शालाओं में जाने से बचते रहे हैं। अब उन्हें ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं में जाना होगा। यह तैयारी विभाग के द्वारा युक्तियक्तकरण की प्रक्रिया के तहत की जाएगी।

शहर के अंदर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी नहीं है, ये कमी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में है। खासकर खातेगांव, बागली, कन्नौद ब्लॉक में शिक्षकों की ज्यादा कमी है। टोंकखुर्द, सोनकच्छ में कुछ स्थिति अच्छी है। अगर युक्तियुक्तकरण होता है तो शिक्षकों की कमी काफी हद तक दूर हो जाएगी।
राजीव सूर्यवंशी, डीपीसी
जिला शिक्षा केंद्र देवास।
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