देवास

एक वर्ष में एक दर्जन किशोरी बालिकाएं लापता

– ९० प्रतिशत बालिकाएं आदिवासी समाज से

देवासJun 28, 2018 / 12:09 pm

अर्जुन रिछारिया

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बागली संदीप जायसवाल. बेहरी जैसे छोटे क्षेत्र में विगत एक वर्ष में एक दर्जन के लगभग नाबालिग लड़कियां गुमशुदा हुई। परिजन थक.हारकर थाने पर सूचना देकर आ गए, किंतु समय बीतता गया, लेकिन एक भी प्रकरण में सफलता नहीं मिली। पूरे बागली क्षेत्र से ३६ बालिकाएं लापता हुई जिनमें मुश्किल से १० बालिकाओं का ही पता चल सका। पता भी तब लगा जब वह शादीशुदा होकर बच्चों की मां बन गई। अधिकतर मामलों में गांव के रिश्तेदारों के नाम सामने आए। कुछ नामों में स्कूल अध्ययनरत बालिकाएं भी है। ९० प्रतिशत आदिवासी वर्ग से इन बालिकाओं का गुमशुदा होना चिंता का विषय माना जा रहा है।
सामान्य वर्ग की बालिकाएं एक भी गुमशुदा नहीं हुई। पिछड़ा वर्ग की दो बालिकाएं बेहरी से गुमशुदा हुई लेकिन परिजन व पुलिस की खोजबीन के बाद भी इन बालिकाओं का पता नहीं लगा। गत दिनो भी कामठ व पाजंरीया से ८ दिन पहले नाबालिग बालिकाएं जिनकी उम्र १४ व १६ वर्ष बताई गई उसे वहीं के युवक जो शादीशुदा है, बहला.फुसलाकर ले गए। किंतु कोई पता नहीं लगा। थक हारकर परिजन ने बागली थाने पर आवेदन दिया। पूर्व में देरी से दो बालिकाएं एक साथ गायब हुई लेकिन वे भी नहीं मिली। विगत एक वर्ष के दौरान १ दर्जन से अधिक इस प्रकार की घटनाएं घट चुकी है। पूरे बागली क्षेत्र में तीन दर्जन घटना घटनाएं नाबालिग बालिकाओं को गुमहार कर साथ ले जाने की हो चुकी हैं। यहां की बालिकाएं गुजरात क्षेत्र में श्रमिकों के जरिए पहुंच जाती है समय बीतने के बाद यदि पता लगता है तब तक बात बिगड़ जाती है। शादीशुदा होकर दो तीन बच्चों की मां बन जाती है, लेकिन अन्य जगह भी इन अपहृत लड़कियों का उपयोग होता होगा इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
परिजन के माध्यम से हमें कोई पता मिलता है तो पुलिस बल द्वारा तुरंत उस स्थान पर जाया जाता है किंतु सफलता हाथ नहीं लगी, फिर भी प्रयासरत है कि कामखेड़ा व पाजंरीया से गायब हुई बालिका मिलते ही शीघ्र परिजन को सुपुर्द कर दी जाएगी।
गोपाल सूर्यवंशी
थाना प्रभारी बागली

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