VIDEO नहीं बच सकी असलम की जान, चमकी बुखार से मौत का पहला मामला
देवासPublished: Jun 23, 2019 12:22:32 pm
खातेगांव के जामनेर में चमकी बुखार की दस्तक
देवास. चमकी बुखार ने भी देवास जिले में अपनी दस्तक दे दी है। खातेगांव तहसील के ग्राम जामनेर के 8 वर्षीय बालक असलम पिता इब्राहिम खां की इस बुखार के कारण इंदौर के एमव्हाय अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। बालक को शुक्रवार देर रात को तेज बुखार आया था। परिवारजन ने इसे पहले मामूली बुखार ही समझते रहे, लेकिन जब बालक तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो उसे फिर लेकर खातेगांव के सरकारी अस्पताल में पहुंचे लेकिन उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने हरदा के लिए रैफर कर दिया। बालक को शुक्रवार रात से ही बुखार के साथ उल्टियां शुरू हो गई थी। शनिवार सुबह परिजन बालक को खातेगांव सरकारी अस्पताल लेकर आए लेकिन तब तक बच्च लगभग बेहोशी की हालत में पहुंच गया था। हरदा जिला चिकित्सालय में बालक की गंभीर हालत को देखते हुए उसे किसी निजी चिकित्सालय में जाने की सलाह दी गई। परिजन ने बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए हरदा के निजी हॉस्पिटल में दिखाया। बच्चे के लक्षण देखते हुए डॉक्टर्स को यह चमकी बुखार लग रहा था। बच्चे की खून की जांचे करवाई गई। जिसमें प्लेटलेट्स कफी कम मात्रा में थे। कुछ घण्टे इलाज करने के बाद वेंटिलेटर और जरूरी अन्य मशीनों की सुविधा नहीं होने के कारण यहां भी डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर इंदौर ले जाने की सलाह दी। खातेगांव से जिला अस्पताल और वहां से पल्स हॉस्पिटल तक सरकारी एम्बुलेंस ने छोड़ दिया था। परिजन के पास बच्चे का निजी अस्पताल में इलाज कराने के बाद पैसा भी खत्म हो गया था, इस कारण उसे वापस जामनेर लेकर आ गए और घर पर ही गीली पट्टी रखकर उसके बुखार उतारने की कोशिश करने लगे। कुछ जागरूक लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो फिर बच्चे के परिजन से संपर्क किया व इंदौर इंदौर एमवाय अस्पताल भिजवाया। शनिवार रात 8.15 बजे इंदौर पहुचने के बाद बच्चे को वहां एडमिट कर इलाज शुरू हो गया है। अभी बच्चे की हालत गंभीर थी लेकिन सुबह होते-होते बच्चे ने दम तोड़ दिया।
चमकी बुखार के के लक्ष्ण जो असलम में भी दिखे
-बेहोशी आना
-अचानक तेज बुखार आना
– जी मिचलाना और उल्टी होना
– बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना
– मिर्गी जैसे झटके आना
वर्जन- बच्चे के शुरुआती लक्षण चमकी बुखार जैसे ही दिख रहे थे, लेकिन हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते। बच्चे की हालत बहुत क्रिटिकल थी। ऐसे केस के लिए जरुरी मशीने हमारे पास उपलब्ध नहीं थी। इसलिए हमने प्रारम्भिक इलाज कर मरीज को इंदौर ले जाने की सलाह दी थी।
डॉ पवन सोमानी
पल्स हॉस्पिटल, हरदा