पत्रिका पड़ताल…तीन साल पहले के थे आदेश, योजना कागजों पर ही रह गई
देवासPublished: Sep 16, 2019 11:03:04 am
– पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक की शिक्षा व्यवस्था की गतिविधियों के संचालन के लिए समग्र शिक्षा अभियान में किया गया था एकीकरण
(अमजद शेख)
देवास. शासन स्तर से आदेश के बाद भी क्रियान्वयन की धीमी गति किसी भी योजना को पलीता लगा देती हंै। शिक्षा सुधार की योजना भी इससे प्रभावित हो गई हैं। शासन ने 2016 में समग्र शिक्षा अभियान के तहत अलग-अलग चल रही स्कूली योजनाओं को एक छत के नीचे लाने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की थी, लेकिन ये कागजों पर ही अब दम तोड़ रही है। 31 अगस्त 2020 तक यह योजना जारी रहने का ऐलान किया गया था, लेकिन हकीकत ये है कि ये तीन साल बाद भी अमल में नहीं आ सकी है। योजना कागजों पर बनी थी व उसी के बोझ में अभी तक दबी हुई है। शिक्षा विभाग के जानकार बताते है कि अब अगले एक साल में भी कुछ नहीं होना है।
शासन के सन् 2016 के आदेश के बाद पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक शिक्षा व्यवस्था की गतिविधियों का संचालन नई व्यवस्था के अधीन होना था। इस नई व्यवस्था का नाम रखा गया था समग्र शिक्षा अभियान। सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान आरएमएस, शिक्षक प्रशिक्षण डाइट केंद्रों का विलय कर उसका एकीकरण किया जाना था। इन तीनों के एकीकरण के बाद स्कूल में पहली से कक्षा 12वीं तक के लिए नई शिक्षा योजना समग्र शिक्षा अभियान यानी एसएसए के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों का संचालन शुरू हो जाना था लेकिन आज तीन साल बाद भी योजना में कुछ नहीं हुआ है, केवल फंड योजना के नाम पर अता है, इससे आगे बात नहीं बढ़ सकी है। समग्र शिक्षा अभियान में तकनीकी इस्तेमाल बढ़ाने पर भी जोर दिया गया था। योजना में विद्यार्थी और शिक्षकों को अधिक सशक्त बनाने के लिए शिक्षा का स्तर सुधारे जाने का लक्ष्य रखा गया था।
योजना के बाद बदल जाती सरकारी शिक्षा
सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में तेजी से सुधार हो, शिक्षा विभाग की योजनाओं में पूरी पारदर्शिता पर भी फोकस किया गया था। नई योजना में मु?य शिक्षा अधिकारी को एकीकृत योजना से संबंधित कार्यों का निष्पादन करना था। स्कूल शिक्षा में सुधार के लिए विद्यालयों में डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग को बढ़ाया जाना था, इसमें सरकार प्री.स्कूल से बारहवीं कक्षा तक शिक्षा में गुणात्मक सुधार में वृद्घि करती। सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्य तत्व इस योजना में पूरी तरह से शामिल रखे गए थे। खास बात यह है कि समग्र शिक्षा अभियान की अवधारणा को नीति आयोग के निर्देश पर शुरू किया जाना था। नीति आयोग के निर्देशों के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने स्कूल शिक्षा में सुधार की तरफ कदम बढ़ाया था, जिसके बाद समग्र शिक्षा अभियान ही सरकारी स्कूलों के 12वीं तक के विद्यार्थियों, स्कूलों, आधारभूत संरचना समेत सभी गतिविधियों को नियंत्रित करती।
अभियान के तहत ये कार्य होते
समग्र शिक्षा अभियान में जिला शिक्षा केंद्र व जिला शिक्षा विभाग के काम अलग-अलग नहीं रह जाते। ये बंटवारा खत्म होने से निर्णय प्रक्रिया में भी तेजी आती। हालाकि अभी जो बजट आ रहा है, वो समग्र शिक्षा के नाम पर जरूर आ रहा है, लेकिन आगे का काम पुराने तौर तरीकों से ही हो रहा है। इसके चलते शिक्षा का स्तर उठाने की गति अब भी धीमी प्रक्रिया में ही चल रही है। समग्र शिक्षा अभियान में नए स्कूलों की स्थापना और पुराने का अपग्रेडेशन तेजी से होना था, जो नहीं हो सका। योजना में नए प्राथमिक स्कूलों को दस लाख रुपए प्रति स्कूल और नए माध्यमिक स्कूल के लिए प्रति स्कूल 25 लाख रुपए आवंटन तय किया गया था। इसी के साथ ही नए उच्चतर माध्यमिक स्कूल में एक संकाय के लिए 50 लाख, दो के लिए 55 और तीन संकाय के लिए 70 लाख रुपए का आवंटन होना था। पहली से 12वीं कक्षा तक बच्चों का मूल्यांकन एनसीईआरटी के आधार पर हर हाल में होना था। प्री.नर्सरी स्कूल के लिए दो लाख रुपए तक का अनुदान इस योजना के तहत दिया जाना था।
वर्जन-
सेटअप वही पुराना, मर्ज होने में समय लग रहा
समग्र शिक्षा अभियान के तहत एकीकरण के आदेश तो सन् 2016 में ही हो गए थे लेकिन शिक्षा विभाग के बड़े सेटअप के कारण ये अभी तक अमल में नहीं आ सका हैं। नई व्यवस्था के तहत काम तभी शुरू हो सकेगा, जब शिक्षा विभाग में ऊपरी स्तर पर मर्ज करने की कार्रवाई पूरी हो जाएगी। ये कार्रवाई अभी तक पूरी नहीं हुई है। अभी समग्र शिक्षा अभियान के नाम पर फंड जरूर आता है, लेकिन सेटअप अभी पुराना ही चल रहा है। समग्र शिक्षा अभियान को अमल में लाने में अभी करीब एक साल का समय और लगेगा। ये पूरा मामला शासन स्तर पर ही अटका हुआ है।
राजीव सूर्यवंशी, डीपीसी
जिला शिक्षा केंद्र देवास।