बताया जा रहा है कि 90 के दशक से पूर्व सभी समाज के लोग संस्कृत विद्यालय में अपने बच्चों को भेजने में रुचि दिखाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। बागली संस्कृत विद्यालय में दर्ज संख्या 75 छात्रों में देवास जिले के अलावा नेपाल, राजस्थान, उप्र, महाराष्ट्र के छात्र भी शामिल हैं। स्थानीय नहीं होने के कारण उनके आईडी प्रूफ अन्य स्थानों के हैं जिस कारण मैपिंग पोर्टल पर मैपिंग नहीं हो पा रही। मैपिंग रिकॉर्ड नहीं होने के कारण कई बार विद्यालय बंद की कगार पर पहुंच जाता है। जानकारी के अनुसार इस मामले में कोई पोर्टल ऐसा नहीं है जो मैपिंग में मदद कर सके। मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा पोर्टल में रमसा पोर्टल पर अन्य भाषा एवं मदरसा विद्यालय से संबंधित सभी जानकारी दर्ज हो सकती है किंतु संस्कृत पाठशाला के विषय में जानकारी दर्ज नहीं होती।
जर्जर हो चुका है भवन संस्थापक सदस्य स्व. शंभूनारायण पाराशर के सिद्धांत एवं वर्तमान संस्कृत रीढ़ को ऑक्सीजन देने वाले पं. रामाधार द्विवेदी प्रयासरत रहते हैं और उनके प्रयास से ही अनधिकृत तौर पर भी विद्यालय संचालित है जबकि क्षेत्र से शिक्षा मंत्री, पाठ्य पुस्तक निगम अध्यक्ष जैसे नुमाइंदे भोपाल पहुंचे मगर धरातल पर कुछ नहीं हुआ। केंद्र सरकार सरकारी पाठशाला को 50 लाख रुपए का अनुदान देती है लेकिन इसमें भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं। छात्रों को मध्यान भोजन का लाभ नहीं मिलता। विद्यालय भवन जर्जर हो चुका है। पीडब्ल्यूडी इंजीनियर द्वारा दो बार भवन को डेंजर घोषित कर दिया लेकिन शासन-प्रशासन मौन है।
पं. प्रभुलाल पुरोहित ने बताया कि बागली का सौभाग्य है कि यहां संस्कृत विद्यालय संचालित है किंतु दुर्भाग्य है कि उसे समझने के लिए सभी आगे नहीं आ रहे। एक ही वर्ग आ रहा है। सभी को संस्कृत भाषा का ज्ञान होना चाहिए
पं. प्रभुलाल पुरोहित ने बताया कि बागली का सौभाग्य है कि यहां संस्कृत विद्यालय संचालित है किंतु दुर्भाग्य है कि उसे समझने के लिए सभी आगे नहीं आ रहे। एक ही वर्ग आ रहा है। सभी को संस्कृत भाषा का ज्ञान होना चाहिए