scriptजिले के टोंकखुर्द तहसील के गांव देवधर्मराजपुरा के ग्रामीणों को पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए करना पड़ता है 15 किलोमीटर का सफर | Villagers of Devdharmarajpura village of Tonkkhurd tehsil of the distr | Patrika News

जिले के टोंकखुर्द तहसील के गांव देवधर्मराजपुरा के ग्रामीणों को पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए करना पड़ता है 15 किलोमीटर का सफर

locationदेवासPublished: Jan 16, 2022 12:33:11 pm

Submitted by:

sachin trivedi

करीब ढाई दशक पहले लखुंदर बांध के डूब क्षेत्र में आने के कारण विस्थापित हुए थे लसुल्डिय़ाकुल्मी व देवधर्मराजपुरा गांवसाल के 8 महीने से ज्यादा लखुंदर नदी में भरा रहता है बांध का पानी, गर्मी में नदी के रास्ते का रहता है आवागमन में सहारा

जिले के टोंकखुर्द तहसील के गांव देवधर्मराजपुरा के ग्रामीणों को पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए  करना पड़ता है 15 किलोमीटर का सफर

जिले के टोंकखुर्द तहसील के गांव देवधर्मराजपुरा के ग्रामीणों को पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए करना पड़ता है 15 किलोमीटर का सफर

सत्येंद्रसिंह राठौर/ देवास। ग्राम पंचायतों के क्षेत्रफल का दायरा सामान्यत: दो से लेकर तीन-चार किमी में सिमटा रहता है और आवागमन भी सुलभ रहता है लेकिन देवास जिले में एक पंचायत ऐसी है जिसके अंतर्गत आने वाले एक गांव के लोगों को पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए चार अन्य पंचायतों का क्षेत्र पार करते हुए १५ किमी का सफर करना पड़ रहा है। यह गांव है टोंकखुर्द तहसील की पंचायत लसुल्डिय़ाकुल्मी का देवधर्मराजपुरा। यह स्थिति करीब ढाई दशक पहले तब बनी थी जब शाजापुर जिले में लखुंदर बांध बना था। ये दोनों गांव नदी के किनारे पर थे और बांध डूब क्षेत्र में आने के कारण इनको विस्थापित किया गया था। पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए इतनी अधिक दूरी तय करने की स्थिति होने संबंधी यह प्रदेश का विरला मामला है।
ग्राम पंचायत लसुल्डिय़ाकुल्मी में देवधर्मराजपुरा, खेड़ी सहित उपड़ी गांव भी शामिल हैैं। पूरी पंचायत की आबादी वर्तमान में करीब २२०० के आसपास है। इनमें से लसुल्डिय़ाकुल्मी व देवधर्मराजपुरा लखुंदर नदी के किनारे बसे थे। सन 1995 के आसपास लखुंदर बांध बनने के कारण इन दोनों गांवों को करीब एक-एक किमी दूर विस्थापित कर दिया गया था। पूर्व में इन गांवों के लोग आने-जाने के लिए नदी के रास्ते का ही उपयोग अपने स्तर से कर लेते थे लेकिन बांध बनने के बाद साल के अधिकांश समय नदी में पानी भरा रहता है जिसके कारण इस मार्गका उपयोग कुछ माह ही हो पाता है। ऐसे में देवधर्मराजपुरा के लोगों को पंचायत से संबंधित कामकाज के लिए सड़क मार्ग से क्षेत्र की करीब चार पंचायतों को पार करके लसुल्डिय़ाकुल्मी आना-जाना करना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार यदि देवधर्मराजपुरा को नजदीकी पंचायत से जोड़ा जाए तो समस्या का स्थायी हल हो सकता है। हालांकि इसमें कई प्रशासनिक अड़चनें भी हैं क्योंकि पूर्व में कई बार परिसीमन के प्रयास पंचायत स्तर से कईबार किए जा चुके हैं लेकिन वरिष्ठ स्तर से हरी झंडी नहीं मिल पाती है।
वहीं जनसंख्या की कम से कम 1000 होने की बाध्यता के चलते देवधर्मराजपुरा को अलग से पंचायत बनाना आसान नहीं है। करीब डेढ़ साल दो साल पहले कांग्रेस सरकार के समय भी परिसीमन संबंधी प्रक्रिया जपं टोंकखुर्द से शुरू करके सोनकच्छ एसडीएम कार्यालय के माध्यम से कलेक्टर कार्यालय तक पहुंची थी, हालांकि कुछ हल नहीं निकल सका। लसुल्डिय़ाकुल्मी के सरपंच प्रतिनिधि कमल पाटीदार बताते हैं कि देवधर्मराजपुरा के लोगों को योजनाओं को लाभ, मृत्यु प्रमाण पत्रआदि के लिए पंचायत मुख्यालय आना पड़ता है। कई बार हम लोग, पंचायत सचिव भी देवधर्मराजपुरा जाते हैं और वहां भी कागजी कार्रवाई योजनाओं के लाभ आदि दिलाने के लिए की जाती है। देवधर्मराजपुरा के लोग लसुल्डिय़ाकुल्मी पहुंचने में ग्राम पंचायत जमोड़ी, ग्राम पंचायत जमोनिया, ग्राम पंचायत बरदू, ग्राम पंचायत खेड़ामाधोपुर को पार करते हैं।
जनहित को देखते हुए करवाई जाएगी
पंचायत मुख्यालय पहुंचने में अधिक दूरी की समस्या के हल के लिए नियमानुसार जो भी आवश्यक प्रक्रिया हमारे स्तर से रहेगी वो जनहित को देखते हुए करवाई जाएगी।
-लाखनसिंह सिसौदिया, जपं सीईओ टोंकखुर्द।
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