ऐसा ही मामला कन्नौद विकासखंड के ग्राम जागठा मीडिल स्कूल का है जहां शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ ही आधा किमी दूर से बिना मुंडेर के कुएं से जान जोखिम में डालकर पानी का डिब्बा सिर पर रखकर लाने को मजबूर है। जिम्मेदारों को कई बार अवगत कराने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
संस्था के शिक्षक किशोर तिवारी ने बताया कि वर्ष 2013 में यहां आया तब से ही प्रतिवर्ष अक्टूबर माह में जलसंकट की समस्या शुरू हो जाती है। स्कूल परिसर में एक हैंडपम्प लगा हुआ है जो मात्र बारिश के दिनों में ही चलता है। शिक्षक का कहना है कि स्कूल के बच्चों को प्यासा कैसे रहने दूं। पेयजल की व्यवस्था के लिए तमाम प्रयास किए लेकिन किसी ने बच्चों की और ध्यान देना उचित नहीं समझा। स्कूल में पानी की टंकी भरने के लिए भी कोई मजदूर नहीं मिल रहा है। तो शिक्षक ने ही एक किसान के खेत स्थित कुएं से पानी लाना शुरू कर दिया।
संस्था के शिक्षक किशोर तिवारी ने बताया कि वर्ष 2013 में यहां आया तब से ही प्रतिवर्ष अक्टूबर माह में जलसंकट की समस्या शुरू हो जाती है। स्कूल परिसर में एक हैंडपम्प लगा हुआ है जो मात्र बारिश के दिनों में ही चलता है। शिक्षक का कहना है कि स्कूल के बच्चों को प्यासा कैसे रहने दूं। पेयजल की व्यवस्था के लिए तमाम प्रयास किए लेकिन किसी ने बच्चों की और ध्यान देना उचित नहीं समझा। स्कूल में पानी की टंकी भरने के लिए भी कोई मजदूर नहीं मिल रहा है। तो शिक्षक ने ही एक किसान के खेत स्थित कुएं से पानी लाना शुरू कर दिया।
गांव से 1 किमी दूर है स्कूल
यहां का शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम जागठा से बाहर करीब 1 किमी दूर स्थित है। विद्यार्थी पानी की बॉटल के साथ स्कूल पहुंचते है लेकिन कुछ घंटों में बॉटल खाली हो जाती है। बच्चे स्कूल में प्यासे न रहे इसलिए संस्था प्रधान स्वयं खाली डिब्बा लेकर कुएं पर पहुंच जाते है। और वहां से पानी लेकर बच्चों की प्यास बुझाते है। हालांकि स्कूल के अन्य शिक्षक और छात्र भी प्रधानाध्यापक की मदद करने में जुट जाते है।
यहां का शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम जागठा से बाहर करीब 1 किमी दूर स्थित है। विद्यार्थी पानी की बॉटल के साथ स्कूल पहुंचते है लेकिन कुछ घंटों में बॉटल खाली हो जाती है। बच्चे स्कूल में प्यासे न रहे इसलिए संस्था प्रधान स्वयं खाली डिब्बा लेकर कुएं पर पहुंच जाते है। और वहां से पानी लेकर बच्चों की प्यास बुझाते है। हालांकि स्कूल के अन्य शिक्षक और छात्र भी प्रधानाध्यापक की मदद करने में जुट जाते है।
3 गांव के बच्चे पढऩे आते है
शिक्षक तिवारी ने बताया कि वर्तमान में यहां कक्षा 6 से 8 तक 101 विद्यार्थी अध्ययनरत है। जो कि आसपास के ग्राम जागठा, सिया एवं किटिया से करीब 3 किमी सफर तय करके स्कूल पहुंचते है। इस माह स्कूल का समय सुबह 7.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक का निर्धारित है। बाहर गांव से आने वाले विद्यार्थियों एवं शिक्षक को दोपहर की भीषण गर्मी में घर जाना पड़ता है।
शिक्षक तिवारी ने बताया कि वर्तमान में यहां कक्षा 6 से 8 तक 101 विद्यार्थी अध्ययनरत है। जो कि आसपास के ग्राम जागठा, सिया एवं किटिया से करीब 3 किमी सफर तय करके स्कूल पहुंचते है। इस माह स्कूल का समय सुबह 7.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक का निर्धारित है। बाहर गांव से आने वाले विद्यार्थियों एवं शिक्षक को दोपहर की भीषण गर्मी में घर जाना पड़ता है।
ऐसे हो सकता है निराकरण
संस्था के शिक्षक ने बताया कि स्कूल परिसर का हैंडपम्प विद्यार्थियों की प्यास बुझाने में असमर्थ है। समस्या के निराकरण के लिए हंैडपम्प की जगह मोटर डाल दी जाए तो समस्या का निराकरण हो सकता है। या फिर स्कूल से करीब 1 हजार फीट दूर किसान प्रदीप धूत का कुआं है वहां से नली गाड़कर पानी स्कूल तक लाया जा सकता है किसान ने बच्चों की समस्या देखते हुए सहमति दे दी है। लेकिन नली गाडऩे का बजट नहीं है और पंचायत से भी किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल रहा है।
क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों में भीषण पेयजल की स्थिति बनी हुई है। जिसके चलते स्कूल का मध्याह्न भोजन भी प्रभावित हो रहा है।
संस्था के शिक्षक ने बताया कि स्कूल परिसर का हैंडपम्प विद्यार्थियों की प्यास बुझाने में असमर्थ है। समस्या के निराकरण के लिए हंैडपम्प की जगह मोटर डाल दी जाए तो समस्या का निराकरण हो सकता है। या फिर स्कूल से करीब 1 हजार फीट दूर किसान प्रदीप धूत का कुआं है वहां से नली गाड़कर पानी स्कूल तक लाया जा सकता है किसान ने बच्चों की समस्या देखते हुए सहमति दे दी है। लेकिन नली गाडऩे का बजट नहीं है और पंचायत से भी किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल रहा है।
क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों में भीषण पेयजल की स्थिति बनी हुई है। जिसके चलते स्कूल का मध्याह्न भोजन भी प्रभावित हो रहा है।
स्कूल परिसर में पेयजल संकट को देखते हुए पड़ोस के किसान के खेत से पानी लाने के लिए नली की व्यवस्था दो दिन में कर दी जाएगी। मानसिंह मालवीय सरपंच ग्राम पंचायत जागठा अप्रैल माह से नया शिक्षण सत्र शुरू हुआ है जिसमे पीने के पानी की समस्या आ जाती है। सभी स्कूलों के शिक्षकों को पंचायत एवं जनसहयोग से पेयजल व्यवस्था करने के लिए निर्देशित किया गया है।
अनुराग भारद्वाज, बीआरसी कन्नौद
अनुराग भारद्वाज, बीआरसी कन्नौद
जागठा के स्कूल परिसर के हैंड पम्प में जलस्तर जांचेंगे, मोटर चलने योग्य पानी होगा तो सिंगल फेस की मोटर डलवा दी जाएगी।
आरके सोनी, एसडीओ पीएचई कन्नौदpatrika IMAGE CREDIT: patrika
आरके सोनी, एसडीओ पीएचई कन्नौद