धमतरी

इतिहास में दूसरी बार दो महिलाएं पहुंचेंगी सदन में, अब महिलाओं के अधिकारों की विधानसभा में होगी आवाज बुलंद

छत्तीसगढ़ विधानसभा में जिले से एक साथ दो महिलाएं पहुंचेंगी।

धमतरीDec 14, 2018 / 01:43 pm

Deepak Sahu

इतिहास में दूसरी बार दो महिलाएं पहुंचेंगी सदन में, 3 लाख महिलाओं के अधिकारों की विधानसभा में अब होगी आवाज बुलंद

धमतरी. कांग्रेस और भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने की बात जरूर करते थे, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाते थे। लेकिन अब स्थितियां बदल गई है। वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव में रिकार्ड 8 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी थी। इनमें भाजपा से रंजना साहू, पिंकी शाह, कांग्रेस से डा. लक्ष्मी ध्रुव, लक्ष्मीकांता साहू प्रमुख थी। चुनाव में धमतरी से रंजना साहू और सिहावा से डा. लक्ष्मी ध्रुव चुनाव जीतने में सफल हो गई थी। यह पहला अवसर है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में जिले से एक साथ दो महिलाएं पहुंचेंगी।

जिले में कुल 5 लाख 89 हजार 599 मतदाता है, जिसमें से महिला मतदाताओं की संख्या 3 लाख 309 है। इस बार जिले में कुल 84.67 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें महिला मतदाताओं ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया था। उल्लेखनीय है कि जिले में सबसे पहले धमतरी विधानसभा क्षेत्र में 1980 में कांग्रेस ने जयाबेन को टिकिट दी थी। संयोग से चुनाव जीतने में सफल रही। इसके बाद 1985 में कांगे्रस ने धमतरी से पुन: जयाबेन को और कुरूद से दीपा साहू को टिकिट दी थी। ये भी चुनाव जीतने में सफल हो गई। भाजपा ने सबसे पहले पिंकी ध्रुव को वर्ष-2003 में सिहावा विधानसभा क्षेत्र से टिकिट दी और वह भी चुनाव जीत गई। इसके बाद 2008 में कांग्रेस ने वहां से अंबिका मरकाम को टिकिट दी और वह भी चुनाव जीत गई। करीब दस साल के बाद कांग्रेस ने सिहावा से डा. लक्ष्मी ध्रुव को चुनाव मैदान में उतारा और वे चुनाव जीतने में सफल रही।
कांग्रेस कर रही उपेक्षा
पिछले करीब 33 साल से धमतरी से कांग्रेस ने किसी भी महिला को टिकिट नहीं दी। शायद यह भी एक कारण है कि महिलाओं में कांग्रेस को लेकर पहले जैसा उत्साह नहीं रहा। कभी कांग्रेस की राजनीति में शशि गौर, ईश्वरी पटवा, शीला ठाकुर, कामिनी कौशिक जैसी महिलाएं काफी सक्रिय रहती थी। पार्टी के अंदर रिस्पांस नहीं मिलने के कारण अब वे पहले जैसे सक्रिय नहीं रही। पूर्व जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष शशि गौर का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व धमतरी में लगातार महिलाओं की उपेक्षा कर रहा है। यह मेरी जैसी कई महिला कार्यकर्ताओं के लिए पीड़ादायक बन गया है।
महिलाओं को मिले रोजगार
महिला सुनीता जैन, हेमतला साहू, शकुंतला टांडेकर, मेनका सेन, रेखा नाग का कहना है कि पहली बार दो महिलाएं जिले से चुनकर आई है, यह उनके लिए खुशी की बात है। वे आशा करती है कि विधानसभा चुनाव मे महिलाओं के हित से जुड़े मुद्दों को वे प्रमुखता से उठाएगी। आज कई महिलाएं विशेष कर परित्यक्ता और विधवा महिलाएं अवसर नहीं मिलने के कारण रोजगार से वंचित है। ऐसे में वे दूसरों पर निर्भर हो गई है। उन्हें किसी भी तरह से रोजगार मुहैया कराकर आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।

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