आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि बच्चों की दर्ज संख्या पहले से कम हो गई है। अधिकारियों से खिलौना सप्लाई करने की मांग की गई है, लेकिन वे ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में मजबूरी में उन्हें मिट्टी आदि सामग्रियों से खिलौना बनाकर काम चलाना पड़ रहा है। बच्चे इन खिलौनों से खेलना नहीं चाहते। उन्हें बाल, डॉक्टर कीट समेत अन्य सामग्री चाहिए।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सूत्रों की माने तो तीन महीने पहले सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में खिलौना सप्लाई करने के लिए टेंडर निकाला गया था। अब तक बच्चों को नया खिलौना मिल जाना चाहिए था, लेकिन टेंडर को ओपन करने में अधिकारियों द्वारा लेटलतीफी की जा रही है। खिलौना नहीं होने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों को सम्हालना मुश्किल हो गया है। कई परिजनों ने बच्चों को आंगनबाड़ी में भेजना भी बंद कर दिया है।