स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के संस्मरण में उनके परपोते यतीश भूषण श्रीवास्तव ने पत्रिका को बताया कि अंग्रेजों ने कंडेल के किसानों पर पानी चोरी का झूठा आरोप लगाकर किसानों पर पानी टैक्स 4,403 रुपए लगाने का निर्णय लिया। किसानों के नहीं देने पर उनके मवेशी बजारों में बेचकर कर वसूलने लगे थे। अंग्रेजों द्वारा किसानों पर अत्याचार देख बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने नहर सत्याग्रह शुरू किया था। आखिकार अंग्रेजों को कर मुक्त करना पड़ा। नहर सत्याग्रह ने मानो आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा ही दे दी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी उनके सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने चले आए। नहर सत्याग्रह से ही बापू सत्याग्रह शब्द को यहां से लेकर गए और इसका देशभर में विस्तार किया।
टैक्स नहीं देने पर किसानों के मवेशी बेचकर कर वसूलते थे अंग्रेज
सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के परपोते यतीश बताते हैं कि किसानों के मवेशी बाजार में बेचकर पानी टैक्स वसूली का प्रयास भी किया, लेकिन बाबू छोटेलाल गांव-गांव में बैठकें लेकर और संदेश भेजकर अंग्रेजों से मवेशी खरीदने से मना कर दिया। तब तक गांव में अंगे्रजों की इस ज्यादती के विरोध में नहर सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया। बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने अपने क्रांतिकारी साथियों पंडित सुंदरलाल शर्मा, नारायण राव मेघावाले, नत्थूजी जगताप आदि के साथ चर्चा कर महात्मा गांधी को सत्याग्रह में आमंत्रित करने कलकत्ता भेजा।
बापू कंडेल आने के लिए सहमत हो गए। यह बात जब अंग्रेज अफसरों को पता चला तो बापू के आने से पहले पानी के लगान को रद्द कर दिया। 21 दिसंबर 1920 को बापू महात्मा गांधी यहां आए। इसके बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दूसरी बार वर्ष-1933 में धमतरी आए। हात्मा गांधी दूसरी बार वर्ष-1933 में धमतरी आए।
1317 सत्याग्रहियों के साथ शुरू किया था जंगल सत्याग्रह, अंग्रेजों ने भेजा जेल, कठोर सजा भी दी
परपोते यतीश बताते हैं कि बाबू छोटेलाल ने अगस्त 1930 में नवागांव से जंगल सत्याग्रह शुरू किया। इस सत्याग्रह की शुरुआत 1317 सत्याग्रहियों के साथ शुरू की गई। इसमें नारायण को डिडेक्टर नियुक्त किया गया था। इस बारे में जैसे ही अंग्रेजो को जानकारी हुई तो नारायण और नाथूराम को गिरतार कर लिया। जाते-जाते उन्होंने बाबू छोटेलाल को डिडेक्टर नियुक्त कर दिया। अंग्रेजों ने बाबू छोटेलाल को गिरतार कर लिया। उन्हें सत्याग्रह समाप्त करने कई नोटिस दी,लेकिन वह पीछे नहीं हटे और सत्याग्रह जारी रखा। इससे गुस्साए अंग्रेजों ने बाबू छोटेलाल को जेल में डाल दिया। उन्हे रायपुर जेल में रखा गया और कठोर सजा दी गई।