कुपोषण को खत्म करना शासन के लिए चुनौती बन गया है। इसके लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रुपए रुपए खर्च किया जा रहा है, लेकिन सार्थक परिणाम नहीं निकल रहा है। जिले में 1103 आंगनबाड़ी केन्द्र है, यहां बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के साथ-साथ पूरक आहार भी दिया जा रहा है।
इसके अलावा सुपोषण अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। जिले में ऐसे कई परिजन है, जिसकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। वे बच्चों के खान-पान पर उचित ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में भेज दिया है। यहां से वापस घर में आने के बाद उन्हें उचित मात्रा में पूरक आहार नहीं मिल पाता, जिसके चलते वे सामान्य स्तर पर नहीं आ पा रहे हैं। शायद यही कारण है कि धमतरी जिले में कुपोषण बढ़ रहा है।
परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग के अजय साहू ने बताया सरकारी प्रयास से कुपोषण का ग्राफ धीरे-धीरे कम हो रहा है। स्वयंसेवी संस्थाओं को कुपोषण मुक्ति की दिशा में आगे आना चाहिए।