scriptसिर्फ सरकारी मदद से लड़ रहे हैं जंग, 9 हजार कुपोषित बच्चों का जीवन संवारने की चुनौती | Challenge of grooming the lives of 9 thousand malnourished children | Patrika News

सिर्फ सरकारी मदद से लड़ रहे हैं जंग, 9 हजार कुपोषित बच्चों का जीवन संवारने की चुनौती

locationधमतरीPublished: Sep 18, 2018 03:47:45 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

कुपोषण की जंग सिर्फ सरकारी फंड के सहारे लड़ी जा रही है।

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सिर्फ सरकारी मदद से लड़ रहे हैं जंग, 9 हजार कुपोषित बच्चों का जीवन संवारने की चुनौती

धमतरी. जिले में कुपोषण की जंग सिर्फ सरकारी फंड के सहारे लड़ी जा रही है। यहां दो दर्जन से अधिक स्वयंसेवी संस्थाएं हैं, वे करीब 9 हजार कुपोषित बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए सामने नहीं आ रही हैं। शायद यही कारण है कि जिले को कुपोषण के अभिशाप से मुक्ति नहीं मिल रही है।

कुपोषण को खत्म करना शासन के लिए चुनौती बन गया है। इसके लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रुपए रुपए खर्च किया जा रहा है, लेकिन सार्थक परिणाम नहीं निकल रहा है। जिले में 1103 आंगनबाड़ी केन्द्र है, यहां बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के साथ-साथ पूरक आहार भी दिया जा रहा है।

इसके अलावा सुपोषण अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। जिले में ऐसे कई परिजन है, जिसकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। वे बच्चों के खान-पान पर उचित ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में भेज दिया है। यहां से वापस घर में आने के बाद उन्हें उचित मात्रा में पूरक आहार नहीं मिल पाता, जिसके चलते वे सामान्य स्तर पर नहीं आ पा रहे हैं। शायद यही कारण है कि धमतरी जिले में कुपोषण बढ़ रहा है।

परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग के अजय साहू ने बताया सरकारी प्रयास से कुपोषण का ग्राफ धीरे-धीरे कम हो रहा है। स्वयंसेवी संस्थाओं को कुपोषण मुक्ति की दिशा में आगे आना चाहिए।

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