जनपद सदस्य पिंगल गोटा ने कहा कि आदिवासियों को पढ़ा-लिखाकर उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए गांव में हायर सेकंडरी स्कूल तो खोला गया है, लेकिन यहां शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है। 197 छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या वाले इस स्कूल में 5 शिक्षक है। जबकि जीव विज्ञान, भौतिकशास्त्र, रसायन और वाणिज्य विषय का शिक्षक ही नहीं है। जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष अखिलेश दुबे, ईश्वर मंडावी ने बताया कि स्कूल में आठ साल पहले एक शिक्षिका ने ज्वाईनिंग ली थी, लेकिन दूसरे दिन से ही वह स्कूल नहीं आ रही है। जबकि स्कूल के रिकार्ड में अब भी उन्हें यहां पदस्थ बताया जा रहा है। इसे लेकर उनमें ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
आदिवासी नेता रामप्रसाद नेताम, आशुतोष दुबे ने कहा कि शिक्षा के मामले में किसी तरह समझौता नहीं किया जाएगा। यदि उक्त शिक्षिका की पदस्थापना यहां हैं, तो उन्हें पढ़ाने के लिए आना चाहिए। इस गंभीर लापरवाही पर शिक्षिका के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना चाहिए।
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