आरपीएफ और धमतरी जिला पुलिस की संयुक्त टीम को सर्चिंग के दौरान उन्हेें बिल्वपानी पहाड़ी में माओवादियों की सामग्रियां मिली है। इनमें एक जिंदा प्रेशर कूकर बम, डेटोनेटर, दवाईयां, वर्दी समेत माओवादी साहित्य शामिल है। फोर्स ने कुछ माओवादियों का काफी दूर तक पीछा भी किया, लेकिन घने जंगलों का फायदा उठाकर वे भाग निकले। उल्लेखनीय है कि पिछले पांच साल से इस जिले में कोई भी बड़ी माओवादी घटना नहीं हुई है।
ये लौटे मुख्यधारा में जंगल में आतंक का पर्याय रहे सुकू उर्फ कैलाश, उनकी पत्नी दिनेश्वरी सोरी, बरनू नेताम, बिरनबती तथा महादेव मंडावी के आत्म समर्पण करने के बाद संगठन में फूट पड़ गई और इनकी गतिविधियां भी ठप्प पड़ गई। हालांकि इनमें से एक आत्म समर्पित महादेव मंडावी की माओवादियों ने उनके घर में हत्या कर दी थी।
भूमिगत हुए माओवादी गौतरलब है कि जिले में कभी सीतानदी दलम, गोबरा दलम, मैनपुर दलम आदि संगठनों से जुड़े दुर्दांत माओवादियों का खौफ था। नगरी-सिहावा के जंगल में पहले माओवादी कार्तिक उर्फ दसरू, सत्यम गावड़े, दीपक मंडावी, मल्ला रेड्डी, जानसी, टिकेश उर्फ टिकेश्वर, जयसिंह, जयराम सेवक राम, रूपेश उर्फ नरेश आदि माओवादियों की तूती बोलती थी। जब से मेचका, बिरनासिल्ली और खल्लारी में सीआरपीएफ का कैम्प लगा है, तब से माओवादियों ने यहां किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया।
एक जिंदा कूकर समते ये सामान पकडे पुलिस ने बताया कि अब भी सघन सर्चिंग अभियान चल रहा है। सर्चिंग पार्टी को बिल्वपानी पहाड़ी पर एक जिंदा प्रेशर कूकर बम, डेटोनेटर, सोलर प्लेट, बम बनाने की सामग्री, 4 वर्दी, 4 नग , कंबल, कपड़े, शूज, मेडिकल किट, मेडिकल सर्जिकल उपकरण, रेडियो के साथ ही माओवादी पर्चा और साहित्य भी बरामद हुई है।
क्षेत्र में फोर्स के बढ़ते दबाव के बाद माओवादी भूमितगत हो गए हैं। आज की स्थिति में यहां 40-50 की संख्या में माओवादी होंगे, जो अन्यत्र वारदात कर यहां छुपने के लिए इस जंगल का इस्तेमाल करते हैं।
रजनेश सिंह, एसपी