करीब 1 लाख 20 हजार की आबादी वाले धमतरी शहर में अव्यवस्थित बसाहट आज एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। अमूमन हर वार्डों में अनियमित विकास हुआ हैं। इसमें से 60 फीसदी ऐसी बसाहट हैं, जिनकी निगम प्रशासन से पूर्व सूचना अथवा एनओसी तक नहीं ली गई।
धमतरी
Published: May 18, 2022 11:47:26 pm
धमतरी. धमतरी शहर में अनियमित विकास को रोकने निगम प्रशासन के समक्ष सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। सभी 40 वार्डों में निगम की बिना परमिशन के धड़ाधड़ मकानें, दुकानें और अन्य मैरिज परिसर बन रहे हैं। इससे शासन को लाखों रुपए की क्षति पहुंच रही हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसे ही 8 सौ से ज्यादा लोगों से करीब 4 करोड़ रुपए भवन अनुज्ञा शुल्क वसूला गया है।
करीब 1 लाख 20 हजार की आबादी वाले धमतरी शहर में अव्यवस्थित बसाहट आज एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। अमूमन हर वार्डों में अनियमित विकास हुआ हैं। इसमें से 60 फीसदी ऐसी बसाहट हैं, जिनकी निगम प्रशासन से पूर्व सूचना अथवा एनओसी तक नहीं ली गई। आवास के साथ ही इसमें व्यापारिक संस्थानें भी शामिल हैं। दुकानों और दफ्तरों के नाम पर बिना परमिशन के ही भवन तैयार कर लिया गया है। बाद में भवन अनुज्ञा शाखा की ओर से सभी 40 वार्डों में सर्वे कराया तो अधिकारी भी सकते में आ गए। महापौर-कमिश्नर ने ऐसे अनियमित विकास को काफी गंभीरता से लिया है। इसके बाद वार्ड स्तर पर नए बने भवनों की पड़ताल शुरू की गई। मैदानी अमला की रिपोर्ट पर भवन अनुज्ञा शाखा के सभापति रूपेश राजपूत ने संबंधितों के नाम नोटिस जारी कराकर कार्रवाई की चेतावनी दी। इससे उनमें हड़कंप मच गया। लगातार विभागीय अधिकारियों के दबाव का असर यह हुआ कि 2 सालों में कुल 9 सौ लोगों ने भवन अनुज्ञा प्रमाण पत्र के लिए आवेदन जमा कराए, जिनमें से 870 लोगों को भवन अनुज्ञा जारी कर दिया गया। इससे निगम प्रशासन को करीब 4 करोड़ रुपए का राजस्व आय हुआ है। दस्तावेजों में कमियों के चलते ऐसे 30 प्रकरण लंबित है। इस कमी को भी दूर कर जल्द से जल्द भवन अनुज्ञा जारी करने की बात कही जा रही है।
पुराने रिकार्ड खंगाले जा रहे
गौरतलब है कि जिन 870 लोगों को भवन अनुज्ञा पत्र जारी किया गया है, जिनमें से कई लोगों ने बीते पांच-सात साल पहले ही मकान, दुकान व आफिस बना लिया था। उस समय निगम अधिकारियों ने भी मानिटरिंग नहीं की, जिस कारण कार्रवाई से बचते रहे। लेकिन अब निगम का आय बढ़ाने के लिए ऐसे पुराने रिकार्ड भी खंगाले जा रहे हैं, जिनसे भवन अनुज्ञा शुल्क के रूप में निगम को आय प्राप्त हो।
वरसन..
शहरीय सीमा में निगम की अनुमति के बिना भवन निर्माण करना अनुचित है। किसी भी तरह की कार्रवाई से बचने के लिए लोगों को सबसे पहले भवन अनुज्ञा पत्र लेना चाहिए। दो साल में इस मद में करीब 4 करोड़ रुपए का राजस्व जमा हुआ है।
रूपेश राजपूत, सभापति भवन अनुज्ञा
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