उल्लेखनीय है कि चालीस साल पहले 1975 से 1978 के बीच में गंगरेल बांध को सार्वजनिक परियोजना के उद्देश्य से बनाया गया था। बांध बनाने के लिए यहां 52 गांवों की 3,729 लोगों की 15,760.22 हेक्टेयर भूमि अर्जित कर सिंचाई सुविधा भी बना दी, लेकिन अब तक 1959 आदिवासी, 217 हरिजन, 1553 सामान्य जाति के कास्तकारों के अलावा 1181 भूमिहीनों का व्यवस्थापन नहीं हो सका। पुर्नवास की मांग को लेकर वे दर-दर भटक रहे हैं। गंगरेल बांध प्रभावित जन कल्याण समिति के सचिव अध्यक्ष महेन्द्र उइके ने कहा कि हमने अपना घर-जमीन कुर्बान कर छत्तीसगढ़ की खुशहाली की इबारत लिखी है, लेकिन अब उनका जीवन ही अंधकारमय हो गया। वायदा कर सरकार ने उनके साथ छल किया है। यदि सरकार बीएसपी से मिलने वाला सामाजिक-सुरक्षा-सरोकार (सीएसआर) फंड को ही उन पर खर्च कर दे, तो हर साल सैकड़ों लोगों का जीवन संवर जाएगा।