मनरेगा मजदूरों का करीब 21 करोड़ रुपए का भुगतान बाकी है, आर्थिक तंगी के चलते मजदूर अब दूसरे पलायन करने लगे हैं
धमतरी. मनरेगा मजदूरों का करीब 21 करोड़ रुपए का भुगतान बाकी है। आर्थिक तंगी के चलते मजदूर अब दूसरे पलायन करने लगे हैं। विशेषकर वनांचल क्षेत्र से बड़ी संख्या में मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश समेत महाराष्ट्र आदि राज्यों की ओर रूख करने लगे हैं। उधर शासकीय रिकार्ड में पलायन जीरो बताया जा रहा है। विडंबना यह है कि ग्राम पंचायत में पलायन पंजी का संधारण ही नहीं किया जा रहा है।
मनरेगा में मजदूरी करना ग्रामीणों के लिए गले की फांस बन गई है। पहले तो केंद्र शासन से मजदूरी भुगतान के लिए राशि ही जारी नहीं की गई थी, अब जब राशि जारी हो चुकी है तो करेंसी संकट के चलते मजदूरों को बैंकों से भुगतान नहीं मिल रहा है। कई माह से मजदूरी नहीं मिलने से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है और वे पलायन करने के लिए मजबूर हैं।
सबसे ज्यादा खराब स्थिति नगरी, मगरलोड सहित धमतरी विकासखंड के डूब प्रभावित गांवों में विकराल स्थिति है, जहां खेती के बाद मनरेगा ही लोगों की आय का मुख्य साधन है।
क्या है पलायन पंजी
हर ग्राम पंचायतों में गांव की विभिन्न एक्टिविटिज के लिए रजिस्टर मेंटेन किया जाता है। जन्म, मृत्यु, विवाह पंजीयन रिकार्ड के साथ रोजी-मजदूरी के लिए गांव से बाहर जाने का वाले मजदूरों के लिए भी अलग से रजिस्टर मेंटेन किया जाता है। इसे ही पलायन पंजी कहते हैं। पलायन पंजी मेंटेन करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत के सचिव की है।
नोटबंदी के चलते चक्कर
मनरेगा के तहत दिवाली से पहले 24 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान बाकी था। कुछ दिन पहले केंद्र शासन से 21.41 करोड़ रुपए भुगतान के लिए जारी किया है। इस राशि को बैंकों को भुगतान के लिए जारी भी कर दिया गया है। सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अधिकांश मजदूरों के खाते में राशि डाल दी गई है। आज भी बड़ी संख्या में मजदूर बैंक और सरकारी दफ्तरों के चक्कर कांट रहे हैं।
रिकार्ड का अता-पता नहीं
मजदूरी नहीं मिलने से परेशान ग्रामीणों की रुचि अब मनरेगा से घटती जा रही है। वे रोटी-रोजी के लिए ईंट भट्ठे, राइसमिल, भवन निर्माण, कोयला भट्ठा, फैक्ट्री सहित अन्य स्थानों पर रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं। उल्लेखनीय जिले में 355 ग्राम पंचायतें हंै, जहां पलायन की स्थिति पर नजर रखने के लिए पलायन पंजी का संधारण किया जाना है, लेकिन पंचायतों में पलायन पंजी का संधारण नहीं किया जा रहा है। कुछ गांवों में पलायन पंजी बनाई गई है, लेकिन सालों से इस पंजी में एंट्री नहीं की गई है।
कबीरधाम जिला परियोजना अधिकारी बीके वर्मा ने बताया कि ग्राम पंचायतों में पलायन पंजी का संधारण किया जा रहा है। अभी इसकी रिपोर्ट नहीं मिली है। जनपद पंचायतों से पलायन पंजी की जानकारी मांगी जा रही है।