उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों में जिले में बेरोजगारों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है। ऐसे में अधिकांश लोग चाय-नाश्ता समेत इडली सेंटर खोलकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। यहीं नहीं शहर के रत्नाबांधा, मुजगहन रोड, सिहावा रोड समेत हाइवे स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में हॉटल और ढाबे संचालित हो रहे हैं।
नियमानुसार यहां खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए कमर्शियल गैस सिलेंडर (Commercial Gas Cylinder) का उपयोग होना चाहिए, लेकिन दुकान संचालक इस नियम का खुलकर उल्लंघन कर रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार पिछले पांच सालों में जिले में 7 सौ से अधिक जगहों पर व्यवसायिक प्रतिष्ठान समेत ठेला-गुमटी खुल गया है।
इसमेें से कुछ ही दुकानों में कमर्शियल गैस सिलेंडर (Commercial Gas Cylinder) का उपयोग हो रहा है, जबकि अधिकांश में घरेलू गैस सिलेंडर (Domestic Gas Cylinder) का। सूत्रों की मानें तो पांच साल पहले जिले में प्रतिमाह एक लाख बीस हजार घरेलू गैस सिलेंडर (Domestic Gas Cylinder) का उठाव हो रहा है। इसके विपरीत Commercial Gas Cylinder सिर्फ प्रतिमाह 1 हजार की बिक्री हो रही है।
एक एजेंसी संचालक ने बताया कि कमर्शियल गैस सिलेंडर 19 किग्रा का रिफलिंग कराने के लिए 1465 रूपए लगता है, जबकि 14.2 किग्रा का सिलेंडर 792.50 रूपए लगता है। शायद कीमत में अंतर के चलते ही दुकानदार घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
सहायक खाद्य अधिकारी अरविंद दुबे ने बताया कि नियमानुसार व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग प्रतिबंधित है। समय-समय पर विभाग की टीम की ओर से कार्रवाई की जाती है।
यह है कारण
जानकारों की मानें तो शासन ने घरेलू उपभोक्ताओं को एक साल में 12 गैस सिलेंडर देने का प्रावधान किया है, इसमें संबंधित उपभोक्ता के खाते में 286 रूपए का सब्सिडी भी ट्रांसफर किया जाता है। जबकि कमर्शियल में किसी तरह की कोई सब्सिडी नहीं मिलती। यही कारण है कि कमॢशयिल की जगह घरेलू गैस सिलेंडर का उठाव लगातार बढ़ रहा है।
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