गंगरेल बांध को प्रदेश व देश के पर्यटन विभाग के नक्शे में उभारने के लिए लाखों रुपए खर्च किया जा रहा है। सैलानियों को आकर्षित करने के लिए बांध के अलग-अलग क्षेत्रों में व्यू पाइंट, मानव वन, राशि वन, नक्षत्र वन आदि का निर्माण किया गया हैं, जहां से बांध का मनोरम दृश्य को देखने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में सैलानी पहुंचते थे। यहीं नहीं वाटर स्पोर्ट्स की सुविधा शुरू होने से इसका लुत्फ उठाने के लिए छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश, उड़ीसा, तेंलगाना, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और गुजरात से भी बड़ी संख्या में सैलानी आ रहे थे, लेकिन जब से कोरोना वायरस की अफवाह फैली है, जिले में पर्यटन स्थल सूनसान हो गए हैं।
सूत्रों की मानेंं तो करीब पखवाड़े भर पूर्व गंगरेल बांध के मनोरम दृश्यों को निहारने के लिए यहां 6 से 7 हजार सैलानी पहुंच रहे थे, लेकिन अब सैलानियों की संख्या सिमट गई है। गौरतलब है कि पर्यटन के व्यवसाय के लिहाज से फरवरी से अप्रैल तक के तीन महीने को पीक सीजन माना जाता है। इन तीन महीनों में गंगरेल बांध में किसी भी दिन सैलानियोंं की तादाद कम नहीं होती, लेकिन रायपुर समेत प्रदेश के अन्य हिस्सों में कोरोना के संदिग्ध केस मिलने की अफवाह के बाद से गंगरेल बांध में सैलानियों की संख्या अचानक कम हो गई है। यही नहीं मोटरबोट, वुडन हट, मोटल आदि की बुकिंग को भी कैंसल करा दिया गया है। एक जानकारी के अनुसार पखवाड़ेभर में ऐसे 30 से ज्यादा एडवांस बुकिंग को निरस्त कराया गया है। बांध में वाटर स्पोर्ट्स का भी लोग मजा नहीं ले रहे हैं।