वनाधिकारी अधिनियम के तहत वनवासियों को जमीन का पट्टा तो दिया गया है, लेकिन इस जमीन पर वनवासी ढंग से खेती नहीं कर पा रहे हैं। जमीन घास-फूस भरी और बंजर जैसी है। सालभर की मेहनत के बाद इस जमीन से चार-पांच बोरा ही धान का उत्पादन होता है, जिससे परिवार की पेट की आग तो बुझ जाती है, लेकिन वनवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पाता है।
स्थिति को देखते हुए जिला पंचायत ने हमर जंगल-हमर आजीविका योजना लांच र्की है। इस योजना के तहत प्रथम चरण में केकराखोली और गुहाननाला में
काम भी शुरू कर दिया गया है। इस योजना तहत 3 करोड़ 65 लाख रुपए से वनवासियों से जिंदगी बदलने का लक्ष्य रखा गया है।
यह है योजना
केकराखोली में 32 किसानों की 104 एकड़ जमीन का चयन इस योजना के तहत किया गया है। जिसमें 1 करोड़ 60 लाख रुपए खर्च होंगे। इसमें से 63.14 एकड़ का भूमि सुधार, 20 डबरी निर्माण, 2400 मीटर फेनसिंग कार्य होगा। गुहाननाला के 30 किसानों के 71 एकड़ का चयन किया गया है, जिसमें 71 लाख 75 हजार रुपए खर्च होंगे।
ऐसे होगा काम
इन गांवों में शासन की सभी योजनाओं को मिलाकर संयुक्त रूप से काम किया जाएगा। खास बात यह है इन गांवों में किसानों की जमीन एक कलस्टर में है, जिसके चलते मनरेगा से चेन फेनसिंग का काम होगा। इसके बाद किसानों की जमीन को चार हिस्से में बाटा जाएगा।
आय बढ़ाना लक्ष्य
इस योजना के तहत 6 माह में किसानों की आय 4 गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए किसानों को मोटरपंप, कुआं सहित अन्य प्रकार की सिंचाई सुविधा भी दी जाएगी।
सीईओ जिला पंचायत गौरव सिंह ने कहा हमर जंगल-हमर आजीविका योजना की पूरी रूपरेखा तैयार कर इस पर काम भी शुरू हो चुका है। पूरी शिद्दत से योजना को सफल बनाने में जुटे हैं। इसका सकरात्मक परिणाम सामने आएगा।