कैचिंग पावर ज्यादा
संस्था की ओर से बच्चों को कस्टोडियल ग्रुप, टेनेबल, एज्युकेबल और वोकेशनल ग्रुप की शिक्षा दी जा रही है। आज ये विशेष बच्चे खुद से नहाना, कपड़ा पहनना, जूतों का लैस बांधना, भोजन करना और पानी पीना सब सीख गए है। इनमें कैचिंग पावर इतनी ज्यादा है कि स्कूल में कोई गेस्ट आए, तो हंसकर और हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हैं।
संवारा जा रहा भविष्य
संस्था की अध्यक्ष डा. सरिता दोशी ने बताया कि इन विशेष बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने स्वरोजगार के गुर भी सिखाया जा रहा हैं। पहले चरण में चार प्रोडक्ट फ्लोर क्लीनर (फिनालय), टायलेट क्लीनर, हैंडवॉश, डिसवॉश बनाना, लेबलिंग और उसका मार्केटिंग करना सिखाया जा रहा है। राज्योत्सव में स्टॉल लगाकर इन बच्चों ने लोगों को काफी आकर्षित भी किया।
मिल रही स्कालरशिप
संस्था के सेवाभावी कार्यों को देखकर जिला प्रशासन भी इनकी मदद के लिए आगे आ गया है। बीते तीन सालों से समाज कल्याण विभाग 15 सौ रुपए प्रत्येक बच्चों को स्कालरशिप दे रहा है। बच्चों की प्रतिभा को देखते हुए अब इस स्कूल को अनुदान देने की प्रक्रिया भी चल रही है।