1.अगर आपके घर में कान्हा की पुरानी मूर्तियां हैं तो जन्माष्टमी के दिन उनकी भी पूजा करें और उन्हें भी माखन मिश्री का भोग लगाएं। कई बार हम घर में नई मूर्तियों को ले आते हैं और पुरानी मूर्तियों को भूलकर केवल नई मूर्ति की ही पूजा में लग जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। नई मूर्ति के साथ ही पुरानी मूर्ति की भी हमे पूजा करना चाहिए।
2. जन्माष्टमी पूजा के दौरान भगवान के भोग में तुलसी का पत्ता जरूर होना चाहिए, शास्त्रों के अनुसार बिना तुलसी के भगवान प्रसाद स्वीकार नहीं करतें।
3. इस दिन घर में मांस, मछली और मदिरा न लाये और सेवन करें । जन्माष्टमी के सात्विक भोजन करना चाहिए और व्रत रखें
4. जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज भी कहा गया है, इस दिन किसी भी प्रकार का वाद-विवाद करने से बचना चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं क्योंकि देवी लक्ष्मी ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मणी के रूप में जन्म लिया था। इसलिए इस दिन उन्हें प्रसन्न करना भी अनिवार्य है। इस दिन अध्यात्म पर ध्यान देना चाहिए।
5. शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी,शिवरात्रि, नवरात्र के दिनों में संयम का पालन करना चाहिए ।
6. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी साल में एक बार आने वाला त्यौहार है। इस दिन को सोने में या किसी और काम में व्यर्थ ना करें। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान कर श्रीकृष्ण की पूजा करें। इस दिन गीता, विष्णुपुराण, कृष्णलीला आदि का पाठ करना शुभ फलदायी माना गया है।