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आजादी के बाद से अब तक ऐसा रहा है इस सीट का समीकरण, कांग्रेस को 15 बार मिली है सफलता

locationधमतरीPublished: Apr 12, 2019 12:58:47 pm

Submitted by:

Akanksha Agrawal

देश की प्रतिष्ठापूर्ण सीटों में एक महासमुंद संसदीय क्षेत्र में 1952 से लेकर 2014 तक 19 बार चुनाव हुआ है

Lok Sabha CG 2019

आजादी के बाद से अब तक ऐसा रहा है इस सीट का समीकरण, कांग्रेस को 15 बार मिली है सफलता

अब्द़ुल रज्जाक रिजवी@धमतरी. देश की प्रतिष्ठापूर्ण सीटों में एक महासमुंद संसदीय क्षेत्र में 1952 से लेकर 2014 तक 19 बार चुनाव हुआ है, जिसमे सर्वाधिक 15 बार कांग्रेस को सफलता मिलती है। इस सीट से विद्याचरण शुक्ल, श्यामाचरण शुक्ल, अजीत जोगी, पवन दीवान जैसे दिग्गज नेता चुनाव लडकऱ संसद में पहुंचे थे। देखा गया है कि कांग्रेस ने आयतीत नेताओं पर काफी भरोसा किया है। और वे संयोग से उनकी अपेक्षाओं की कसौटी पर खरे भी उतरे है। इस बार कांग्रेस ने रायपुर जिले के अभनपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर रहे धनेन्द्र साहू को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश की सबसे ज्यादा मतदाताओं लोकसभा सीटों में एक महासमुंद में करीब 16 लाख 37 हजार 8 मतदाता है। इनमें सर्वाधिक 215444 मतदाता राजिम विधानसभा क्षेत्र में है। इसके बाद बिन्द्रानवागढ़ में 214677 और धमतरी विधानसभा में 211591 मतदाता है। मतदाताओं की संख्या के लिहाज से इस संसदीय क्षेत्र में धमतरी विधानसभा तीसरे नंबर पर आता है।
गौरतलब है कि महासमुंद में सर्वप्रथम वर्ष-1952 में लोकसभा का चुनाव हुआ था। यहां से पहली बार कांग्रेस मगनलाल राधाकिशन बागड़ी को सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ। इसके बाद 1971 तक 7 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का परचम लहराता रहा। 1977 में इमरजेंसी से उपजे आक्रोश के चलते भाजपा के बृजलाल वर्मा सांसद बने।
इसके बाद फिर 1980 से लेकर 1996 तक 5 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सफलता हासिल की। इस बीच 1998 में फिर एक बार भाजपा के चन्द्रशेखर साहू ने खाता खोला। पिछले 2009 से 2014 तक यहां भाजपा के चंदूलाल साहू सांसद रहे हैं। वे एकमात्र गैर कांग्रेसी है, जिन्हें लगातार दो बार चुनाव जीतने का मौका मिला। इस सीट से सर्वाधिक 6 बार सांसद बनने का गौरव विद्याचरण शुक्ल को हासिल हुआ।

मतदाताओं में रोष
पिछले 67 साल में धमतरी क्षेत्र से कांग्रेस और भाजपा ने किसी को भी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया। यहां के आम कार्यकर्ता लगातार इसके लिए विभिन्न राजनैतिक मंचों पर आवाज भी उठाते रहे है, लेकिन सत्ता के गलियारे में उच्च पहुंच रखने वाले इसे अनसुना करते रहे हैं। अब तो आम कार्यकर्ताओं के साथ मतदाताओं में भी इसे लेकर रोष पनपने लगा है। शायद चुनाव परिणाम में इसका असर दिखे।

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वर्षजीतेपार्टी
1952एमएल राधाकिशन बागड़ीकांग्रेस
1952शिवदास डागाकांग्रेस
1957विद्याचरण शुक्लकांग्रेस
1957मिनीमाता अगमदास गुरुकांग्रेस
1962मिनीमाता अगमदास गुरुकांग्रेस
1962विद्याचरण शुक्लकांग्रेस
1967विद्याचरण शुक्लकांग्रेस
1971श्रीकृष्ण अग्रवालकांग्रेस
1977बृजलाल वर्माभाजपा
1980विद्याचरण शुक्लकांग्रेस
1989विद्याचरण शुक्लकांग्रेस
1991पवन दीवानकांग्रेस
1996पवन दीवानकांग्रेस
1998चन्द्रशेखर साहूभाजपा
1999श्यामाचरण शुक्लकांग्रेस
2004अजीत जोगीकांग्रेस
2009चंदूलाल साहूभाजपा
2014चंदूलाल साहूभाजपा

चुनाव प्रचार में उत्साह नहीं
उल्लेखनीय है कि धमतरी जिले से कांग्रेस से गुरूमुख सिंह होरा, हरषद मेहता, लेखराम साहू, विपिन साहू और भाजपा से अजय चन्द्राकर, इंदर चोपड़ा, दयाराम साहू जैसे नेताओं ने अपनी दावेदारी प्रमुखता से की थी। दोनों ही पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इसे नजरअंदाज कर दिया। धमतरी की लगातार उपेक्षा और तिरस्कार के चलते कार्यकर्ताओं में भी चुनाव प्रचार को लेकर कोई विशेष उत्साह नहीं दिख रहा। ऐसे में चुनाव परिणाम को लेकर दोनों ही पार्टियों के प्रमुख नेता आशंकित है।

बाहरी का मुद्दा हावी
महासमुंद संसदीय क्षेत्र का इतिहास रहा है कि यहां से बाहरी प्रत्याशियों पर कांग्रेस ने ज्यादा भरोसा किया है। विद्याचरण शुक्ल से लेकर अजीत जोगी बाहर से आकर यहां चुनाव लड़े और कामयाब भी हुए। कांग्रेस का टोटका रहा है कि जब कभी किसी अन्य क्षेत्र के नेता को यहां से प्रत्याशी बनाया गया है, तो वह जरूर चुनाव जीता है। शायद यही वजह है कि इस बार भी रायपुर जिले के निवासी धनेन्द्र साहू को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। हालांकि भाजपा ने इसी संसदीय क्षेत्र के बसना निवासी चुन्नीलाल साहू को अपना प्रत्याशी बनाकर यहां बाहरी के मुद्दे को हवा दे दिया है।

सिर्फ कांग्रेस ने बनाया महिला को प्रत्याशी
पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल और अजीत जोगी जैसे दिग्गज भी इस सीट से अपना प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। मिनीमाता अगमदास गुरू एकमात्र कांग्रेस की महिला प्रत्याशी रही है, जिन्होंने दो बार चुनाव जीता। भाजपा ने इस सीट से आज तक किसी भी महिला को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया।

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