उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट को देखते हुए शासन के निर्देश पर स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन की संविदा के तौर पर भर्ती की गई है। इसके बाद भी जिला अस्पताल समेत अन्य शासकीय अस्पतालों में स्टाफ की कमी बनी हुई है। ऐसे में कर्मचारियों पर काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। उधर ठंड का सीजन शुरू होने के साथ ही सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनियों के मरीजों में लगातार वृद्धि हो रही है। यही वजह है कि लक्षण वाले मरीजों की जांच के लिए जोर दिया जा रहा है।
वर्तमान में जिला अस्पताल समेत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्टाफ की कमी बनी हुई है। ऐसे में लक्ष्य के मुताबिक कोरोना जांच करने के लिए, कर्मचारियों को काफी मशक्कत करना पड़ रहा है। इसके अलावा जांच करने के बाद रिपोर्ट मिलने में हो रही देरी से मरीजों को व्यवहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को जिला अस्पताल में ऐसा ही एक ही मामला प्रकाश में आया है, जिसमें आरटीपीसीआर जांच कराने के एक सप्ताह बाद भी मरीज को रिपोर्ट नहीं मिली है।
ऐसे में उसे जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग का चक्कर काटना पड़ रहा है। गौरतलब है कि पूर्व में जिला अस्पताल में इसी तरह की शिकायत सामने आने पर सीएमएचओ ने लैब का निरीक्षण कर व्यवस्था दुरूस्त कराया था। इसके बाद से सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही कोरोना जांच का लक्ष्य बढ़ाया गया। यह स्थिति निर्मित हो गई है ।