पत्रिका ने शनिवार को ई-हास्पिटल का जायजा लिया। देखा गया कि ओपीडी में मरीजों का पर्ची बनाते वक्त उन्हें एक यूआईडी कोड जारी किया गया था। जब मरीजों से इस कोड के संबंध में पूछताछ की गई, तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। मरीज महेन्द्र कुमार, अश्वनी साहू ने बताया कि वह छोटी-बड़ी बीमारी के इलाज के लिए ई-हास्पिटल आते है, लेकिन उन्हें हर बार नई पर्ची बनवाना पड़ता है। यूनिक कोड के संबंध में आज तक किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। उल्लेखनीय है कि यूआईडी कोड एक ऐसा नंबर है, जिसमें मरीज का नाम, बीमारी की जानकारी और ट्रीटमेंट के दौरान मरीजों को दिए जाने वाले दवाईयोंं समेत मरीज की पूरी जानकारी डिजिटल रूप में सेव रहती है।
आरएमओ , डॉ जेएस खालसा ने बताया हास्पिटल में संसाधन और सेटअप की कमी होने से मरीज के डाटा को ओपीडी में अपडेट नहीं कर पा रहे हैं। व्यवस्था को जल्द ही दुरूस्त किया जाएगा।
कोड सिर्फ नाम का
इसके तहत यदि किसी मरीज को पेट मेंं तकलीफ है और उसे मेडिसिन के डाक्टर को दिखाना है। पर्ची काउंटर मेंं जमा करते ही मरीज की सारी जानकारी संबंधित डाक्टर के सामने रखे कम्प्यूटर स्क्रीन में आ जाती है। ऐसे में मरीज का इलाज करने में डाक्टरों को आसानी होती। यही नहीं यदि वह मरीज देश के किसी भी हास्पिटल में अपना इलाज कराता है, तो उस यूनिक आईडी के जरिए संबंधित डाक्टर को भी मरीज के संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती, लेकिन धमतरी ई-हास्पिटल मेंं यह सिर्फ एक कोड बनकर रह गया है।