scriptकिसानों को थमाया जा रहा गुणवत्ताहीन धान बीज, कार्रवाई के नाम पर हो रही खानापूर्ति | Poor quality seeds are given farmers facing crisis of fertilizers | Patrika News

किसानों को थमाया जा रहा गुणवत्ताहीन धान बीज, कार्रवाई के नाम पर हो रही खानापूर्ति

locationधमतरीPublished: Jul 02, 2022 04:36:13 pm

Submitted by:

CG Desk

खाद और बीज संकट को लेकर विभागीय उदासीनता से किसानों में रोष पनपने लगा है। उल्लेखनीय है कि खरीफ वर्ष-2022 में धमतरी जिले में कृषि विभाग की ओर से 135 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

.

धमतरी. किसानी कार्य शुरू होने के साथ ही कृषि दवाई दुकानों में धान बीज, यूरिया डीएसपी समेत अन्य खाद की डिमांड बढ़ गई है। शासन के स्पष्ट निर्देश के बाद भी इन दुकानों में किसानों को अमानक और गुणवत्ताहीन धान बीज थमाया जा रहा है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बाद भी कृषि विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।

खाद और बीज संकट को लेकर विभागीय उदासीनता से किसानों में रोष पनपने लगा है। उल्लेखनीय है कि खरीफ वर्ष-2022 में धमतरी जिले में कृषि विभाग की ओर से 135 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है। मानसून सक्रिय होने के बाद किसानी कार्य में तेजी आई है। ऐसे में धान बीज का छिड़काव करने के लिए किसान विभिन्न कृषि दवाई दुकानों से अलग-अलग धान बीज का उठाव कर रहे हैं, लेकिन अमानक बीज होने के चलते इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। भोथली के किसान युवराज साहू ने बताया कि धमतरी के एक कृषि दवाई दुकान उन्होंने पतला वैरायटी का धान बीज खरीदा था। खेत की मताई करने के बाद उसने थरहा के लिए धान बीज का छिड़काव किया, लेकिन बारिश होने के चलते धान का बीज सही ढंग से नहीं उगा।

ऐसे में पुन: उसे नए धान बीज का छिड़काव करना पड़ रहा है। इसी तरह भानपुरी के किसान मनोहर ने बताया कि उसने भी शांभा किस्मत का धान बीज खेत में छिड़काव किया था, लेकिन सप्ताह भर बाद भी धान का एक भी बीज से अंकुरण नहीं निकला। उन्हाेंने बताया कि एक एकड़ खेत में रिसर्च का धान बीज 20 से 25 किलो लगता है। प्रति पैकेट 740 से 8 सौ रूपए में बिक रहा है। इस हिसाब से एक एकड़ में करीब 15 सौ रूपए का धान बीज लग रहा है, लेकिन अमानक और गुणवत्ताहीन होने के चलते इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।

कृषि दवाई दुकानों में दबिश देकर खाद का स्टाक समेत अन्य जानकारियां प्राप्त की जा रही है। खामी पाए जाने पर दुकान संचालकों को नोटिस भी जारी किया जा रहा है। खराब धान बीज को लेकर कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। सीआर साहू, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी

इन नियमों के तहत जारी होता है लायसेंस
कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो कीटनाशक दवाई की बिक्री और इसका स्टाक रखने के लिए दुकानदारों के पास कृषि विज्ञान, जैव रसायन शास्त्र और जैव प्रौद्योगिकी, वनस्पति शास्त्र और या प्राणी विज्ञान में से किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री होना अनिवार्य है। इसके अलावा खाद, बीज और कीटनाशक दवाईयों के लिए अलग-अलग चालान जमा कराकर लायसेंस लेना अनिवार्य है।

कालाबाजारी पर भी नहीं लगा ब्रेक
एक जानकारी के अनुसार धमतरी जिले में 350 कृषि दवाई दुकान है। इनके संचालकों ने कृषि विभाग से विधिवत लायसेंस प्राप्त किया है, लेकिन इनमें से अधिकांश दुकानों में अभी भी यूरिया-डीएपी को अधिक कीमत में बेचा जा रहा है। मजबूरी में किसानों को आर्थिक नुकसान उठाकर इसे खरीदना पड़ रहा है। कृषि विभाग की कार्रवाई के बाद भी इस पर अब तक ब्रेेक नहीं लगा है।

बिना लायसेंस का भी बिक रहा खाद बीज
कृषि कार्य जोर पकड़ते ही विभिन्न निजी कंपनियों के सेल्समेन भी पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। इनके पास ही खाद, बीज और कीटनाशक दवाईयों का लायसेंस है और न ही इन्होंने कृषि विभाग की ओर से कोई अनुमति ली है। इसके बाद भी ये नगरी के आउटर क्षेत्रों में धड़ल्ले से खाद, बीज और कीटनाशक दवाईयों को बेच रहे हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो