शिक्षा विभाग निजी स्कूलों को लेकर हुआ सख्त
प्राइवेट स्कूल संचालकों को छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने के लिए शिक्षा विभाग से मान्यता लेनी पड़ती है। एक बार मान्यता लेने के बाद हर साल नवीनीकरण कराना पड़ता है। जिले में 202 प्राइवेट स्कूल हैं। जिसमें प्राथमिक शाला 73 , माध्यमिक शाला 70 , हाईस्कूल 20 और हायर सेकेंडरी स्कूल 36 शामिल हैं। इन स्कूलों को पिछले साल मान्यता दी गई थी।
इस साल भी मान्यता के लिए स्कूल संचालकों ने आवेदन किया है, जिसकी जांच समिति कर रही है। पिछले साल आधा दर्जन से अधिक स्कूलों में आरटीई के तहत कई कमियां पाई गई थी। लेकिन शिक्षण सत्र शुरू होने के कारण दो स्कूलों पर कार्रवाई कर बाकी स्कूलों को समझाईश देकर छोड़ दिया गया था।
जानिए क्या है आरटीई
आरटीई के अनुसार स्कूलों में पहली से पांचवी के लिए 1 – 30 अनुपात में छात्र और शिक्षक होने चाहिए । छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग टॉयलेट की व्यवस्था होनी चाहिए। दिव्यांग छात्रों के लिए रैम्प, लाइब्रेरी, बाऊंड्रीवाल, स्वयं का भवन, डीएड, बीएड शिक्षक आदि की सुविधाएं भी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
अब नहीं बच पाएंगे
इस साल स्कूलों को मान्यता देने के बाद भी आरटीई के तहत 25 सीटों पर गरीब वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। इसलिए जिन स्कूलों में अनिवार्य सुविधा नहीं है,उनकी मान्यताएं रद्द कर दी जाएगी। शासन के दबाव के चलते किराए के भवन और प्रशिक्षक शिक्षकों के बिना संचालित स्कूलों की मान्यता समाप्त हो सकती है।
जिले के प्रभारी डीईओ बिपिन देखमुख ने बताया कि मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आवेदनों की जांच चल रही है। निर्धारित मापदंडों को पूरा करने वालों को ही मान्यता दी जाएगी।