पुलिस ने बताया कि गुरूवार को सुबह एसडीआरएफ की टीम ने बांध में रेस्क्यू आपरेशन चलाया। सुबह 8 बजे पानी में उतरी गोताखोरों की टीम ने सबसे पहले अंडर वाटर कैमरे की मदद से बच्ची को ढूंढने का प्रयास किया। इस बीच किनारे से करीब 2 किमी दूर एक गोताखोर की नजर बच्ची पर पड़ गई। वह पेड़ों की ठूंठ और पत्थरों के बीच फंसी हुई थी। लोकेशन ट्रेस करने के बाद गोताखोर ऊपर आए और साथियों को इसकी जानकारी दी।
एसडीआरएफ टीम के सभी गोताखोरों ने मौके पर पहुंचकर बोट चलाकर लहरें पैदा की। अंतत: इन लहरों की मदद से पत्थर में फंसी बच्ची का शव ऊपर आ गया। इस तरह करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पूर्वान्ह 11.45 बजे शव को बाहर निकाला गया। इसके बाद पोस्टमार्टम के लिए चारामा अस्पताल भेज दिया गया।
उल्लेखनीय है कि बीते 28 जनवरी को नारायणपुर से कुछ लोग घूमने के लिए गंगरेल बांध आए थे। इस दौरान उन्होंने बांध में घूमने का फैसला किया। एक मछुआरे से बातचीत कर वे उसके नाव में सवार हो गए। अभी उनकी नाव कुछ ही दूर गई थी कि अचानक मौसम में बदलाव आ गया। तेज हवा चलने लगी। मछुआरे के अथक प्रयास के बावजूद भी नाव पलट गई। इसके बाद वहां कोहराम मच गया।
हालांकि मछुआरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर चार लोगों को डूबने से बचा लिया, फिर भी इस घटना में सुमित्रा नाग (16) पिता नरेश और निवेदिता (3) पिता सुनील कांगे बाजार पारा नारायणपुर की डूबने से मौत हो गई। बच्ची लक्ष्मी मंडावी (5) पिता कीर्तन मंडावी लापता हो गई थी।
एएसपी मनीषा ठाकुर बताया कि तीन घंटे तक गंगरेल बांध में रेस्क्यू अभियान चलाया गया। अंडर वाटर कैमरे की मदद से बच्ची का लोकेशन लेकर वहां मोटर बोट से लहरेें पैदा कर नीचे पत्थर में फंसी बच्ची के शव को बाहर निकाला गया।