शहर में हुई इस हृदयविदारक घटना ने नगरवासियों को गमगीन कर दिया है। एक साथ तीन घर के इकलौते चिरोगों का यूं असमय चले जाना, हर किसी को बेचैन कर रहा है। उनके माता-पिता को भरोसा ही नहीं है कि उनके लख्ते-जिगर अब इस दुनियां में नहीं है। युवा ऋषभ नेताम के पिता बलराम और मां लेखाबाई का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि ऋषभ हंसमुख और काफी मिलनसार था। वह उनकी काफी इज्जत भी करता था। हम लोग उसका हाथ पीला करने का सपना देख रहे थे, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। युवा दिनेश ओटी की मां मीना बाई की आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं। वह बार-बार घर से बाहर निकलकर उसे आवाज देती है।
गौरतलब है कि मीना बाई के पति रामदेव का काफी साल पहले निधन हो गया था। अपने बेटे को किसी तरह उसने मेहनत-मजदूरी कर पाला-पोसा और बड़ा किया। उसे उम्मीद थी कि बुढ़ापे में उसका सहारा बनेगा। घर में बहु आएगी, फिर सुकून की जिंदगी नसीब होगी। इस दुर्घटना ने उनके सभी ख्वाबों पर पानी फेर दिया।