शहर के चौक-चौराहों में इन दिनों नगर निगम चुनाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। वार्डों का आरक्षण होने तथा इसके बाद महापौर का चुनाव निर्वाचित पार्षदों से कराने की घोषणा के बाद राजनैतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है। उल्लेखनीय है कि 40 वार्डों वाले नगर निगम में पिछली बार भाजपा के सर्वाधिक 24 पार्षद चुनकर आए थे। चुनाव में कांग्रेस के 8 तथा शेष 8 निर्दलीय पार्षदों को सफलता मिली थी। आरक्षण के बाद निगम के मौजूदा 27 पार्षदों का गणित बिगड़ गया है। ऐसे में उन्होंने नए वार्डों की तलाश शुरू कर दी है।
दूसरी ओर 13 पार्षद ऐसे हैं, जहां वे चाहे तो फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। उधर, भाजपा और कांग्रेस से निगम में पार्षद का चुनाव लडऩे वाले दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भाजपा के सामने निगम में अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखने की चुनौती है। शायद यही वजह है कि जिला भाजपा संगठन के नेता फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा ने बूथ स्तर पर कमेटी गठित कर फ्रेश और जीतने योग्य प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए बाकायदा सर्वे भी कराया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भाजपा के स्थानीय नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी हाल में निगम में भाजपा का कब्जा बरकरार रहे। निकाय चुनाव के प्रदेश प्रभारी अमर अग्रवाल ने नगर निगम धमतरी समेत जिले के भखारा, कुरूद, मगरलोड, आमदी और नगरी नगर पंचायत में पार्टी की संभावनाओं के संबंध में पूर्व विधायक इंदर चोपड़ा से चर्चा भी की।
जिलाध्यक्ष रामू रोहरा ने बताया कि निगम चुनाव के लिए पार्टी अभी वार्ड स्तर पर सर्वे करा रही है। हमारा लक्ष्य शहर के सभी 40 वार्डों में जीत का परचम लहराना है। इसके लिए कार्यकर्ता खूब मेहनत भी कर रहे हैं।
जिलाध्यक्ष मोहन लालवानी ने बताया कि चुनावी प्रक्रिया बदलने के बाद कांग्रेस एक-एक वार्ड की स्थितियों का सर्वे करा रही है। संभावित दावेदारों के कुछ नाम सामने आए हैं। जीतने योग्य प्रत्याशियों को ही चुनाव में मौका मिलेगा।