कमलनाथ ने कहा- सत्ता में आए तो आदिवासियों को रोजगार देंगे, भाजपा बोली- 15 महीने क्या किया
शिक्षामंत्री के इस फैसले के पीछे भी बड़ी वजह है। दरअसल 2020 की शुरुआत में हुए मंत्रीमंडल गठन के बाद जब उन्होंने शिक्षा विभाग संभाला तो कई लोगों ने उनकी प्रतिभा पर यह कहते हुए सवाल खड़े कर दिए कि मैट्रिक पास मंत्री कैसे शिक्षा विभाग संभाल सकता है। जो खुद कम पढ़ा हुआ है वह कैसे शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव कर सकेगा।
World Lion Day: शेर न तो जंगल का राजा हैं, न वो अकेले शिकार करता है!
इस कटाक्ष ने उन्हें आहत कर दिया। इसके बाद महतो ने आगे पढ़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों का उदाहरण देते हुए कहा कि जब आईएएस-आईपीएस समेत अन्य अधिकारी भी सेवारत रहते हुए आगे की शिक्षा हासिल करते हैं तो शिक्षामंत्री भी इस दिशा में कदम बढ़ा सकता है, इसमें कोई अचरज वाली बात नहीं है।
Sushant Death Case: रिया समेत 5 लोगों से पूछताछ में जुटी ED, CBI आज ले सकती है बयान
महतो ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि अब वह डुमरी विधानसभा क्षेत्र के नवाडीह इंटर कॉलेज में ही दाखिला लेंगे। शिक्षा विभाग का कामकाज भी साथ ही चलता रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इंटरमीडिएट के कला संकाय यानि आर्ट्स में वह एडमिशन कराएंगे। उन्होंने बताया कि साल 2005 में जब वो पहली बार डुमरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर आए तो पैतृक प्रखंड नवाडीह में कोई इंटर कॉलेज नहीं था। उनके प्रयास से ही नवाडीह प्रखंड में इंटर की पढ़ाई शुरू हुई और अब वो उसी कॉलेज से आगे की पढ़ाई पूरी करेंगे। शिक्षामंत्री ने यह भी बताया कि कम पढ़े लिखे होने से राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा। शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए निरंतर प्रयास जारी है।