निराश लौट रहे वाहन चालक
एसोसिएशन के प्रवक्ता प्रमोद कुमार ने दावा किया है कि बंद के कारण राज्य के 1100 से अधिक पंप प्रभावित है। पेट्रोल पंप में हड़ताल की जानकारी नहीं होने पर कई लोग वाहन लेकर पंप पर पहुंचे, लेकिन उन्हें पेट्रोल-डीजल नहीं मिला, जिसके कारण निराश होकर उन्हें वापस लौटना पड़ा।
आपातकालीन सेवाओं को रखा बाहर
रांची में भी 100 से अधिक पेट्रोल पंप बंद रहे, जिसके कारण सोमवार को सड़कों पर कम वाहन दिखाई दिए। इस बंदी में धनबाद के 135 पेट्रोल पंप भी शामिल हैं। हालांकि इस हड़ताल से एंबुलेंस जैसी जरूरी सेवाएं को बंदी से मुक्त रखा गया है।
यूं हुई दामों में बढोतरी
झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में झारखंड में डीजल महंगा है, जिसके कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोलफील्ड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के सचिव संजीव राणा ने कहा कि फरवरी 2015 में प्रति लीटर डीजल की कीमत 48.60 रुपए थी, जबकि वैट 7.48 रुपए था। वहीं, पेट्रोल का मूल्य प्रति लीटर 56.65 रुपए था, जिस पर वैट 9.77 रुपए लगता था। वहीं, सितंबर 2018 में डीजल 77.85 रुपए, वैट 14.92 रुपए और सेस 1.22 रुपए हो गया। वैट की दर अधिक होने और सेस की वजह से झारखंड में पेट्रोल व डीजल पड़ोसी राज्यों की तुलना में 3 से 5 रुपए प्रति लीटर महंगा है।
दूसरे राज्यों से तेल भरवा रहे
बताया गया है कि डीजल की कीमत अधिक होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरने वाले छोटे-बड़े वाहन झारखंड की सीमा पार करने के बाद या झारखंड की सीमा में प्रवेश के पहले पश्चिम बंगाल अथवा उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले पेट्रोल पंप में ही तेल भरवा लेते है।