दरअसल रत्नागर दास की पत्नी इला पीटर दास ने वर्ष २००७ में मास्टमाइंड सुधीर जैन से लीज डीड़ तय की थी। इसके बाद 2008 में जैन के खास अखिलेश शर्मा के नाम भी लीज डीड हो गई। डीड में यह था कि अखिलेश शर्मा जैन की सहमति से ही प्लाट बेचेगा, इसके बाद सेंट टेरेसा कम्पाउंड की बेशकीमती जमीन दो हजार स्क्वेयर फीट संजय देवड़ा ने मात्र दो लाख 20 हजार रुपए में खरीद ली। खरीदने के बाद यहां पर व्यावसायिक इमारतें तानकर किराए से दे दी, उस दौरान सेंट टेरेसा के सामने की कालोनियों में प्लाटों का भाव 200 से 300 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट था। सेंट टेरेसा से नजदीक काशीबाग, हॅप्पी विला, श्रीकृष्ण नगर जैसी पाश कालोनी में उस दौरान रेट अधिक था। उसके मुकाबले आधे से भी कम में सेंट टेरेसा कपाउंड की जमीन में बिक गई। इस लिहाज से देखा जाए तो सेंट टेरेसा जमीन मामले में माफियाओं ने जमीन को सस्ते दामों में खुर्द बुर्द कर दिया।
प्लाट खरीदने वालों में विनय चौधरी भी शामिल है, सूत्रों के मुताबिक संजय देवड़ा और विनय चौधरी ने साथ में फरारी काटी है। बताया जाता है इन लोगों ने शहर के आसपास ही बाडिय़ों (खेतों) में फरारी काटी है। संजय ने सोमवार को कोतवाली में समर्पण किया था। अभी इसका रिमांड जारी है। प्लाटों की बंदरबाट में शामिल संजय देवड़ा ने दो कॉम्प्लेक्स बनाकर किराए पर दे रखे हैं। सूत्रों की माने तो दोनों कॉम्प्लेक्स का किराया लगभग ५० हजार रुपए महीने से अधिक है, इस लिहाज से १५ साल में सात लाख 50 हजार रुपए कमा चुका है। पुलिस अब अन्य भगौड़ों को पकडऩे की तैयारी में लगी है।