हालांकि अभी रोकस के अध्यक्ष तथा जिला कलेक्टर बनोठ तक फाइल नहीं पहुंची, लेकिन अस्पताल सूत्र बता रहे हैं कि रोकस की शुल्क योजना में छोटे-बड़े सभी प्रकार के एक्स-रे करवाने के लिए 200 रुपए शुल्क रखे जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके अलावा सोनोग्राफी के लिए भी मरीज से 200 रुपए शुल्क लिए जाने की योजना बनाई जा रही है। अब तक ओपीडी पर्ची के लिए 10 रुपए शुल्क था, जिसे बढ़ाकर 20 तथा आईपीडी(भर्ती) शुल्क 50 से बढ़ाकर 100 रुपए की योजना है।
इधर जब बेवजह और जरूरत से ज्यादा एक्स-रे होने लगे तो सिविल सर्जन के आदेश पर फिल्म देना बंद कर दिया गया। हालांकि एक्स-रे हो रहे हैं, लेकिन फिल्म का खर्च बचाने के लिए रिपोर्ट सीधे डॉक्टर को मैसेज की जा रही है, जिस आधार पर वे मरीज की दवाईयां निर्धारित कर रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ. बौरासी ने बताया कि जरा-जरा सी बीमारी या शंका पर एक्स-रे सजेस्ट करने से फिल्म का खर्च बढ़ रहा है। इसे देखते हुए रिपोर्ट सीधे डॉक्टर को सोशल मीडिया द्वारा भेजी जा रही है, जिस आधार पर वे मरीज का ईलाज कर रहे हैं। गौरतलब है कि यही व्यवस्था पूर्व में भी लागू की गई थी, लेकिन बीच में कुछ कारणों से फिर फिल्म रिपोर्ट देना शुरू कर दी गई थी।
एक्स-रे पर शुल्क तय करने के मामले में बताया जा रहा है कि बदनावर के सरकारी अस्पताल में पहले से ही यह योजना शुरू की जा चुकी है, जहां एक्स-रे के 50 रुपए लिए जाते हैं। बता दें कि इसी प्रकार सीहोर जिले में भी 1 अप्रैल 2018 से एक्स-रे शुल्क 100, ओपीडी 10 तथा आईपीडी(भर्ती) का शुल्क 30 रुपए तय किया जा चुका है, जो जारी है।
रोगी कल्याण समिति क्या करने वाली है और उसकी क्या योजना है इसे सार्वजनक नहीं कर सकते। यह हमारा आंतरिक मामला है। जब कोई योजना बनेगी और उसका आदेश जारी होगा सार्वजनिक कर देंगे। अस्पताल में एक्स-रे की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हो सकता है इसके पिछे निजी डॉक्टरों के बाह्य मरीजों का जिला अस्पताल में एक्स-रे करवाना हो। इस तरह की शिकायत तो मिलती रहती है, लेकिन प्रमाण नहीं है। जांच करवा रहे हैं।
–डॉ. एमके बौरासी, सचिव, रोकस