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अजय नाहर बने मुनि जिनभद्रविजय

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में भागवती दीक्षा संपन्न,
साध्वी हर्शितगुणाश्री व साध्वी हितरत्नाश्रीजी ने पंच महाव्रत किये अंगीकार

धारJan 15, 2020 / 06:25 pm

shyam awasthi

आचार्य से आशीर्वाद लेते हुए मुनिश्री ने सुधर्मास्वामी की पाट परंपरा में हुए समस्त आचार्य भगवंत व दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेंद्रसूरीश्वर की पाट परंपरा के समस्त आचार्य भगवंतों के नामों की नामावली श्रवण करवाने के पश्चात् आचार्य ऋषभचंद्रसूरीश्वर ने अजय नाहर का पंचमुष्ठी केशलोचन करके नूतन नाम मुनि जिनभद्रविजय दिया।

राजगढ़. आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचंद्रसूरीश्वर की निश्रा, मुनि मंडल, साध्वीवृदों की पावनतम सानिध्यता एवं श्री आदिनाथ राजेंद्र जैन श्वे. पेढ़ी (ट्रस्ट) श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वावधान में दसई निवासी अजय अशोककुमार नाहर की दीक्षा एवं साध्वी हर्षितगुणाश्री, साध्वी हितरत्नाश्री की बड़ी दीक्षा की भव्य विधि बुधवार हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई। नूतन मुनि अजय नाहर को पंचमुष्ठी केशलोचन के पश्चात् आचार्य ऋषभचंद्रसूरीश्वर ने मुनि जिनभद्रविजय नाम प्रदान किया।
प्रात:काल की वेला में नवकारसी के पश्चात् गाजे बाजे के साथ दीक्षार्थी अजय नाहर को उनके अस्थायी निवास से दीक्षा छाब के साथ श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ स्थित दीक्षा वाटिका में लाया गया। यहां पर विराजित वर्तमान आचार्यदेवेश ऋषभचंद्रसूरीश्वर के समक्ष दीक्षार्थी व समाजजनों ने सामुहिक गुरु वंदन किया। तत्पश्चात् चैमुखी में विराजित प्रभु के समक्ष साध्वी हर्षितगुणाश्री, साध्वी हितरत्नाश्री ने बड़ी दीक्षा की विधि पूर्ण की। बड़ी दीक्षा विधि पश्चात् दीक्षार्थी अजय नाहर की दीक्षा विधि प्रारंभ हुई। दीक्षा से पूर्व अजय नाहर को मंदसौर धुंधडक़ा निवासी दिनेश जैन परिवार ने विजय तिलक करके दीक्षा मार्ग में विजय प्राप्त करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया। दीक्षार्थी के मामा परिवार राजेंद्रकुमार अशोककुमार दुलीचंद चंडालिया श्री नाकोड़ा ट्रेडर्स राजगढ़ वालों ने नूतन मुनि को वोहराये जाने वाला रजोहरण आचार्यश्री को वोहराया। संगीतमय प्रस्तुतियों के बीच दीक्षा की विधि चलती रही इसी बीच आचार्यश्री ने दीक्षार्थी को रजोहरण प्रदान किया। रजोहरण प्राप्त करते ही अजय नाहर खुशी के मारे झुम उठा और चौमुखी के सम्मुख नृत्य करते हुए अपनी खुशी का इजहार करने लगे। यहां से अजय नाहर को वेश परिवर्तन के लिए ले जाया गया, कुछ ही समय पश्चात् वेश परिवर्तन कर पुन: नूतन मुनि के रुप में अजय नाहर दीक्षा पांडाल में लाए गए। यहां उन्हें आचार्यश्री की निश्रा में वेश परिवर्तन के पश्चात् नूतन मुनि बनने की विधि ज्ञानप्रेमी मुनिराज पुष्पेंद्रविजय के मंत्रोच्चार के साथ पूर्ण करवाई गई।

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