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चार बगीचों का शहर, लेकिन उपयोगी एक ही

locationधारPublished: Oct 23, 2019 09:55:03 pm

Submitted by:

shyam awasthi

नई परिषद से लोगों को रहेगी उम्मीद

चार बगीचों का शहर, लेकिन उपयोगी एक ही

हरिसिंह उद्यान ही गर्मी में शाम बिताने का साधन है।

राजेंद्र धोका
बदनावर.लगभग 30 हजार की आबादी के शहर में चार बगीचों में से दो जीर्णशीर्ण होकर अनुपयोगी हो गए हैं। चारों बगीचे नगर परिषद के अधीन है। एक बगीचा दुकान निर्माण की भेंट चड़ गया तो किला दरवाजा स्थित हरिसिंह उद्यान ही अब लोगों के परिवारों के लिए कुछ समय बिताने का स्थान बचा है।
नागेश्वर रोड स्थित इंदिरा गार्डन के हालात ज्यादा खराब है। नियमित रखरखाव के अभाव में परिसर में ही कचरा आदि फेंक देने से गंदगी पसरी पड़ी है। वहीं उपयोग नहीं आने से झूले चकरी सड़ गए हैं। बैठने की बैंचे भी गायब हो गई हैै।
आवारा पशुओं का केंद्र बन कर रह गया है। वायर फेंसिंग भी नष्ट होने की कगार पर नजर आ रही है। बड़ी चौपाटी इंदिरा कालोनी के गार्डन के हाल भी कुछ ऐसे ही है। परिसर में गाजर घास पनप जाने से बैठना दुभर हो गया है। प्रतिदिन पेयजल टंकी ओवर फ्लो हो जाने से बगीचे में ही पानी जमा हो जाने से मच्छरों की भरमार है।
बलवंती तट स्थित लक्ष्मीबाई बालोद्यान दुकान निर्माण की भेंट चड़ जाने से लोगों से यह सुविधा छिन गई है। अब बस गणेश मंदिर स्थित गार्डन ही लोगों के लिए दो पल सुकुन के बिताने का साधन बचा है। नगर की भौगोलिक स्थिति का आकलन किया जाए तो बड़ी चौपाटी, नागेश्वर रोड़, बलवंती तट के पास एवं किला दरवाजा पर बने गार्डन क्षेत्र को चार भागों में बांटने से उस क्षेत्र के लिए लोगों को नजदीक ही गार्डन की सुविधा थी। सरकारी कार्यालय परिसर में गार्डन पर नजर डालें तो सरकारी अस्पताल परिसर एवं तहसील कार्यालय परिसर में बने बगीचे भी दम तोड़ते नजर आरहे हैं। दोनों जगह भी रखरखाव के प्रति लापरवाही स्पष्ट नजर आती है। आश्चर्य इस बात का है कि इन दोनों स्थानों पर प्रतिदिन बाहर से आने वाले ग्रामीणों की तादाद भी अधिक रहती है, बगीचा अस्तव्यस्त होने के कारण लोग बगीचे के बाहर बैठकर समय गुजारते है। गर्मी के दिनों में लोग अधिक परेशान होते हैं।
हादसे हो रहे
सुबह शाम तफरी करने वालों को मजबूरी में टू वे रोड, फोरलेन या स्टेट हाई वे पर वाकिंग करना पड़ रही है। तेज गति से गुजरते वाहनों की चपेट में आने का अंदेशा बना रहता है। अब अनेक हादसों में अनेक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं कई आजीवन अपाहिज हो गए हैं। लोगों का कहना है कि जैसी व्यवस्था हरिसिंह गार्डन में है वैसे ही अन्य गार्डन को भी विकसीत किया जाना चाहिए। बुजुर्ग, बीमार एवं बच्चे को इससे लाभ मिल सकेगा।

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