सायबर सेल ने तलाशे लाखों के गुम हुए मोबाईलमहंगी कंपनियोंं के मोबाईल भी थे
ऐसा क्या हुआ जो धार पुलिस ने लाखों के मोबाईल दिए (देखे वीडियो),ऐसा क्या हुआ जो धार पुलिस ने लाखों के मोबाईल दिए (देखे वीडियो)
धार. शहर की सायबर सेल ने लंबे समय से गुम हुए मोबाईलों को तलाश लिया है। पुलिस अधीक्षक आदित्यप्रतापसिंह ने गुम हुए 22 मोबाईल शुक्रवार को धारकों को लौटाए है। इन गुम हुए मोबाइलों की कीमत तीन लाख 50 हजार रुपए थी। मोबाईल तलाशने के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र पाटीदार के मार्गदर्शन में सायबर सेल प्रभारी संतोष कुमार पाण्डेय को लगाया गया था।
पांडेय ने जिलेभर के थानों से गुम हुए मोबाईलों की जानकारी जमा की। इसके बाद सायबर सेल के आरक्षक प्रशांत सिंह चौहान, शुभम शर्मा, आदर्श सिंह रघुवंशी एवं विवेक पांचाल द्वारा विगत 6 माह में गुम हुए मोबाइलो के आवेदन पत्र एवं बिल के आधार पर मोबाइलों को ट्रेसिंग के लिए विभिन्न टेलीकाम कंपनियों को भेजे। जिसमें कुल 22 स्मार्ट मोबाइल फोन धार जिले और आस.पास के जिले एवं सीमावर्ती राज्यों में चालू होना पाया गया। फरियादियों द्वारा आवेदन पत्र में मोबाईल अपनी गलती से गिरना बताया गया था। इसीलिए सायबर सेल द्वारा गुम हुए मोबाइलों को चलाने वाले यूजर्स को काल लगाकर उनसे मोबाईल को वापस सायबर सेल धार में जमा कराने हेतु सूचित किया गयाए जिस पर से सायबर सेल धार में 22 महंगे स्मार्ट मोबाईल फोन प्राप्त हुए।
उम्मीद नहीं थी मिल जाएगा मैंने मेहनत करके महंगा मोबाईल खरीदने के लिए पैसे जुटाए थे। 18 हजार रुपए का मोबाईल था।अचानक कहीं गिर गया था। डेढ माह पहले तिरला में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मोबाईल वापस आने की उम्मीद नहीं थी, पुलिस ने तलाश किया तो बडी खुशी हुई।
शोभाराम पटेल, तिरला पहली सेलेरी पर लिया था मोबाईल तो लगाव था मेरी बैंक में जाब लगी थी। पहली सेलेरी मिलने पर 24 हजार रुपए का मनपसंद मोबाईल खरीदा था। बैंक से घर आते समय कहीं गिर गया था। मोबाईल गुमने पर बहुत हताश थी क्योंकि ये पहली सेलरी से लियाहुआ था। पुलिस का फोनआया कि मोबाईल मिल गया तो काफी राहत मिली। सायबर को धन्यवाद। नीति जैन,
मेले में गिरा तो सोचा अब नहीं मिलेगा परिवार सहित हम उर्स मेले में घूम रहे थे। घर आकर पापा मुकेश रघुवंशी ने देखा मोबाईल नहीं मिला। मोबाईल मेले में गिर गया था। पुलिस में रिपोर्ट तो की थी कि लेकिन मोबाईल मिलने की उम्मीद छोड़ चुके था। आज मोबाईल मिला तो अच्छा लगा। विनीता रघुवंशी