इस बार कुंभकारों के घर घड़े-मटकों के ढेर लगे हैं, लेकिन खरीदने के लिए कोई घर से बाहर ही नहीं निकल पा रहा है। हालात ये हैं कि अब इन घरों में इन्हें बनाना भी बंद कर दिया गया है। जितने बने हैं, उतने ही बिकने की स्थिति इस बार दिख नहीं रही है। वहीं कुंभकारों का मुख्य काम ही बर्तन बनाना है। इस बार उनको कोरोना के चलते दोहरी मार पड़ रही है। कुंभकारों का गर्मी के सीजन के मुख्य कार्य है ओर इस बार कुछ ज्यादा बिक्री नहीं हुई। कुंभकार कैलाश कुमार द्वारा बताया कि हम आसपास के गांव साभार, मलगांव, भिड़ाता, सकतली, अनारद आदि गांव में जाते है। मगर इस बार लग रहा था सीजन अच्छा जाएगा। मगर कोरोना के चलते हमें काफी नुकसान हुआ है।