धार

नहीं बिक रहे पानी पीने के बर्तन

चेहरे पर दिख रही मायूसी

धारApr 05, 2020 / 12:16 am

shyam awasthi

इस बार कुंभकारों के घर घड़े-मटकों के ढेर लगे हैं, लेकिन खरीदने के लिए कोई घर से बाहर ही नहीं निकल पा रहा है।

अनारद. गर्मी के दिन शुरू हो गए हैं। घरों में चार महीनों के लिए ठंडा पानी पीने के लिए लोगों को चाहिए। ऐसे में ऐसा जल मटके के अलावा किसी और पात्र से संभव नहीं है, लेकिन हालातों की मार इस व्यवसाय पर सबसे ज्यादा पड़ी है। गर्मी के मौसम के घड़े, मटके, सुराही बनाने के धंधे पर पानी फिर गया है। देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन और कफ्र्यू के हालातों ने कुम्भकारों को भी घरों के अंदर रहने को मजबूर कर दिया है। अब तक शहर व गांव में बेचने नहीं जा पा रहे है और कुंभकारों इस बार बर्तन बनाए है वह बिक्री नहीं हो रही है। वहीं इनकी कोई खरीदारी करने वाला भी नहीं मिल रहा।
इस बार कुंभकारों के घर घड़े-मटकों के ढेर लगे हैं, लेकिन खरीदने के लिए कोई घर से बाहर ही नहीं निकल पा रहा है। हालात ये हैं कि अब इन घरों में इन्हें बनाना भी बंद कर दिया गया है। जितने बने हैं, उतने ही बिकने की स्थिति इस बार दिख नहीं रही है। वहीं कुंभकारों का मुख्य काम ही बर्तन बनाना है। इस बार उनको कोरोना के चलते दोहरी मार पड़ रही है। कुंभकारों का गर्मी के सीजन के मुख्य कार्य है ओर इस बार कुछ ज्यादा बिक्री नहीं हुई। कुंभकार कैलाश कुमार द्वारा बताया कि हम आसपास के गांव साभार, मलगांव, भिड़ाता, सकतली, अनारद आदि गांव में जाते है। मगर इस बार लग रहा था सीजन अच्छा जाएगा। मगर कोरोना के चलते हमें काफी नुकसान हुआ है।
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