रामनवमी और डोला पूजन करने नहीं पहुंचा पूर्व राज परिवार
धारPublished: Apr 02, 2020 11:42:08 pm
कोरोना के साए में 254 वर्ष पुरानी राजवंश की समृद्धशाली परंपरा टूटी…प्रजा का हाल जानने भी नहीं निकल सके राजाराम
राज परिवार द्वारा रामनवमी पर श्री राम डोले की ठाट बाट औररीति-रिवाज से पूजन करने की परंपरा है। (फाइल चित्र)
मांडू. धार के पंवार राजवंश की गुरु गादी चतुर्भुज श्रीराम मंदिर मांडू में है। हर रामनवमी पर पूर्व राज परिवार और आसपास के ठिकानों का मांडू में आगमन होता है। प्रभु के डोले का गुरु की उपस्थिति में पूजन कर राजा राज्य और प्रजा की खुशहाली की कामना इस परंपरा के तहत करते आ रहे हैं। पर इस बार लॉक डाउन ने 254 वर्ष पुरानी राजवंश की इस समृद्धशाली परंपरा को भी तोड़ दिया। खुद राजाराम प्रजा का हाल जानने नहीं निकल सके। दूसरी तरफ पूर्व राज परिवार जन्मोत्सव और डोला पूजन करने मांडू नहीं पहुंच सका। राज परिवार की पीढिय़ों से चली आ रही इस परंपरा को प्रशासनिक अनुमति न मिलने के कारण रद्द करना पड़ा।
राजवंश की गुरुगादी की नौंवी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाले पीठाधीश्वर महंत डॉ नरसिंह दास महाराज का कहना है कि मांडू में विश्व में एकमात्र चतुर्भुज श्रीराम की वनवासी प्रतिमा है, जो संवत 957 ईस्वी की है। मंदिर निर्माण और मूर्ति की स्थापना संवत 1823 के बाद 254 वर्षों में पहला मौका है, जब पूर्व राजपरिवार राम जन्मोत्सव और डोला पूजन नहीं कर सका। इधर धार के तत्कालीन महाराज हेमेंद्रसिंह पवार का कहना है कि राजवंश और पुरखों से चली आ रही परंपरा के टूटने से मन बेहद आहत है।ं लॉक डाउन खुलते ही पूरे परिवार के साथ प्रभु से क्षमा मांग मांगने मांडू जाएंगे।
ऐतिहासिक 56 महल पर राजवंश करता आया है डोला पूजन
यह पहली बार है जब बिना भक्तों के ही श्री राम जन्मोत्सव मना हो और प्रभु श्रीराम का डोला नगर भ्रमण पर नहीं निकला है। परंपरा के अनुसार रामनवमी पर प्रभु श्रीराम का डोला मांडू के राजवंश के ठिकाने रहे। ऐतिहासिक 56 महल पहुंचता है। पूरा पूर्व राजवंश डोले का वैदिक रीति से पूजन करता है। उसके बाद महंत का गुरु पूजन कर प्रजा का अभिवादन करते हैं। महंत का सिंहासन भी लगता है और पूर्व राज परिवार के सभी सदस्य परंपरा अनुसार नीचे बैठकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।