साढ़े 4 लाख के पौधों से सजेगा मुक्तिधाम का बगीचा
धारPublished: Jul 16, 2017 11:43:00 pm
लेक्टर के नेतृत्व में रविवार को हुआ पौधारोपण, हाथ सनाकर हुई फोटोग्राफी
धार. धूपतालाब मुक्तिधाम पर रविवार को पौधारोपण हुआ। मुख्यमंत्री के विश्व कीर्तिमान में 2 जुलाई को भी यहां पौधे लगाए गए थे। रविवार को पौधारोपण के समय भी कई लोग मिट्टी में हाथ सनाकर फोटोग्राफी कराते नजर आए, जबकि कलेक्टर श्रीमन शुक्ला के साथ बगीचे को आकार देने वाले आर्किटेक्ट व इनके कर्मचारियों ने भी पौधे लगाए। आर्किटेक्ट शशांक क्षीरसागर के अनुसार रविवार को 4 किस्म के करीब 250 पौधे लगाए गए, जबकि मुक्तिधाम पर करीब 4.5 लाख रुपए की लागत से पौधारोपण किया जा रहा है, जिसके तहत और पौधे लगाए जाएंगे।
150 किलो वजनी है बॉटलपॉम
मुक्तिधाम पर लगाए जाने वाले पौधों में कुल 10 किस्में शामिल हैं, लेकिन रविवार को बॉटलपॉम सहित 4 किस्म के पौधे लगाए गए। क्षीरसागर के अनुसार एक बॉटलपॉम की कीमत लगभग 1200 रुपए है, जबकि इसका वजन 150 से 180 किलो तक है। इसकी ऊंचाई भी लगभग 12 से 15 फीट की बताई जा रही है। इसके अलावा बिल्कुल नई किस्म के टर्निमिलिया के पौधे भी लगाए गए, जिसकी प्रति पौधा कीमत करीब 1600 रुपए है। रविवार को कचनार व फज्ञयकस के पौधे भी लगाए गए, जिनकी प्रति पौधा कीमत क्रमश: 300 व 400 रुपए प्रति पौधा बताई जा रही है। मुक्तिधाम पर लगने वाले और पौधे फिलहाल सर्किटहाउस पर रखे हैं, जिन्हें आगामी दिनों में लगाया जाएगा।
हर वर्ग शामिल
रविवार को हुए पौधारोपण में न केवल मुक्तिधाम समिति के सदस्य बल्कि प्रशासनिक, स्वास्थ्य विभाग, पत्रकार, सेवानिवृत्त कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता आदि भी शामिल हुए। विशेष रूप से एसडीएम भाव्या मित्तल ने पौधे लगाने में रुचि दिखाई। विधायक प्रतिनिधि अनंत अग्रवाल, कुलदीप बुंदेला, जनसंपर्क अधिकारी वर्षा चौहान, नपा उपाध्यक्ष जीतू अग्रवाल, योगेश अग्रवाल सहित करीब 150 लोगों ने मुक्तिधाम पर पौधे लगाए।
कलेक्टर निकले तो सब चल दिए
कई लोग कलेक्टर को दिखाने के लिए
पौधे लगाने के लिए आए थे। दरअसल सुबह 10 बजे से शुरू हुआ पौधारोपण पौन घंटे बाद समाप्त हो गया। हालांकि बाद में आर्किटेक्ट के कर्मचारी दिनभर पौधे लगाते रहे, लेकिन जैसे ही कलेक्टर मुक्तिधाम से निकले सब फोटोबाज उनके पीछे-पीछे निकल लिए, जबकि इस समय तक बमुश्किल 50 पौधे लग पाए थे। गड्ढे खुदे होने और तमाम संसाधन के बावजूद लोग रुके नहीं और बाकी पौधों को ऐसे ही छोड़ चले गए।