जानिए कहां... 38 साल बाद मनाया इंदल राजा उत्सव, रातभर हुआ नाच गाना
इंदल उत्सव में 5 हजार से अधिक लोगों ने लिया भाग, रातभर हुआ जागरण और नाच गाना

बड़वानी/पाटी. नगर से 2 किमी दूर बुदी गांव के पटेल फलिया में आदिवासी समाज के लोगों ने इंदल देव की पूजा अर्चना की। मंगलवार शाम करीब 5 बजे से शुरू हुआ इंदल उत्सव दूसरे दिन बुधवार तक चला। यहां पर 38 साल बाद हुए इंदल उत्सव में करीब 5 हजार लोग शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने रातभर जागरण कर नाच गाना किया। करमसिंग अलावे ने बताया कि आदिवासी समाज का सबसे बड़ा इंदल उत्सव होता है। इंदल राजा उत्सव पूर्व में गांव के छतरसिंग पटेल द्वारा 1983 में किया गया था। अब इनके पुत्र हुकुमसिंग पटेल द्वारा 16 जनवरी को किया गया। इसमें विशेष विधि विधान से पूजा की गई।
इंदल उत्सव पुजारा गाठड़ा पिता मिला द्वारा इंदल देव का पूजन मंगलवार शाम 5 बजे से विधि-विधान से पूजन अर्चन किया। पूजा का दौर बुधवार सुबह 8 बजे तक चलता रहा। सुबह 11 बजे आरती व भेंट कार्यक्रम हुआ। साथ ही गांव डाहला लुहारिया द्वारा भी पूजन किया गया। वारती करमसिंग सेवजी, रेमसिंग, रमेश, दिलीप, नाहरमल, लुहारिया खरते द्वारा प्रसादी बांटी गई। आदिवासी परंपरागत वेशभूषा पहने 32 ढोल मांदल इंदल उत्सव में पहुंचे। यहां पर 5 हजार से अधिक की संख्या में लोग पहुंचे। इंदल देखने के लिए ग्राम पाटी, ओसाड़ा, अजराड़ा, सेमली, डोंगरगांव, पलवट, बमनाली सहित ऐसे 20 से अधिक गांव के आदिवासी समाज के लोग मौजूद थे।
इसलिए मानते हैं इंदल राजा उत्सव
पूर्वजों से चला आ रहा पारंपरिक को पूरा किया जाता है। घरों में रहने वाले व क्षेत्र में किसी प्रकार का आने वाला संकट व परेशानी दूर हो। क्षेत्र में शांति बनी रहती है। पशु व अन्य जानवरों के ऊपर किसी बीमारी का प्रकोप ना हो। मुखिया के घर के सामने अखाड़ा बेल पत्ती से बनाया जाता है। उसमें पूजन की सामग्री रखकर पूजन के लिए कमल की डाल को बीली पत्तों से पूजा की जाती है। इसके पूर्व कमल की डाल को गड्ढा खोदकर ज्वार में गाड़ कर ही पूजन किया जाता है।
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